आपाणो राजस्थान
AAPANO RAJASTHAN
AAPANO RAJASTHAN
धरती धोरा री धरती मगरा री धरती चंबल री धरती मीरा री धरती वीरा री
AAPANO RAJASTHAN

आपाणो राजस्थान री वेबसाइट रो Logo

राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

Home Gallery FAQ Feedback Contact Us Help
आपाणो राजस्थान
राजस्थानी भाषा
मोडिया लिपि
पांडुलिपिया
राजस्थानी व्याकरण
साहित्यिक-सांस्कृतिक कोश
भाषा संबंधी कवितावां
इंटरनेट पर राजस्थानी
राजस्थानी ऐस.ऐम.ऐस
विद्वाना रा विचार
राजस्थानी भाषा कार्यक्रम
साहित्यकार
प्रवासी साहित्यकार
किताबा री सूची
संस्थाया अर संघ
बाबा रामदेवजी
गोगाजी चौहान
वीर तेजाजी
रावल मल्लिनाथजी
मेहाजी मांगलिया
हड़बूजी सांखला
पाबूजी
देवजी
सिद्धपुरुष खेमा बाबा
आलमजी
केसरिया कंवर
बभूतौ सिद्ध
संत पीपाजी
जोगिराज जालंधरनाथ
भगत धन्नौ
संत कूबाजी
जीण माता
रूपांदे
करनी माता
आई माता
माजीसा राणी भटियाणी
मीराबाई
महाराणा प्रताप
पन्नाधाय
ठा.केसरीसिंह बारहठ
बप्पा रावल
बादल व गोरा
बिहारीमल
चन्द्र सखी
दादू
दुर्गादास
हाडी राणी
जयमल अर पत्ता
जोरावर सिंह बारहठ
महाराणा कुम्भा
कमलावती
कविवर व्रिंद
महाराणा लाखा
रानी लीलावती
मालदेव राठौड
पद्मिनी रानी
पृथ्वीसिंह
पृथ्वीराज कवि
प्रताप सिंह बारहठ
राणा रतनसिंह
राणा सांगा
अमरसिंह राठौड
रामसिंह राठौड
अजयपाल जी
राव प्रतापसिंह जी
सूरजमल जी
राव बीकाजी
चित्रांगद मौर्यजी
डूंगरसिंह जी
गंगासिंह जी
जनमेजय जी
राव जोधाजी
सवाई जयसिंहजी
भाटी जैसलजी
खिज्र खां जी
किशनसिंह जी राठौड
महारावल प्रतापसिंहजी
रतनसिंहजी
सूरतसिंहजी
सरदार सिंह जी
सुजानसिंहजी
उम्मेदसिंह जी
उदयसिंह जी
मेजर शैतानसिंह
सागरमल गोपा
अर्जुनलाल सेठी
रामचन्द्र नन्दवाना
जलवायु
जिला
ग़ाँव
तालुका
ढ़ाणियाँ
जनसंख्या
वीर योद्धा
महापुरुष
किला
ऐतिहासिक युद्ध
स्वतन्त्रता संग्राम
वीरा री वाता
धार्मिक स्थान
धर्म - सम्प्रदाय
मेले
सांस्कृतिक संस्थान
रामायण
राजस्थानी व्रत-कथायां
राजस्थानी भजन
भाषा
व्याकरण
लोकग़ीत
लोकनाटय
चित्रकला
मूर्तिकला
स्थापत्यकला
कहावता
दूहा
कविता
वेशभूषा
जातियाँ
तीज- तेवार
शादी-ब्याह
काचँ करियावर
ब्याव रा कार्ड्स
व्यापार-व्यापारी
प्राकृतिक संसाधन
उद्यम- उद्यमी
राजस्थानी वातां
कहाणियां
राजस्थानी गजला
टुणकला
हंसीकावां
हास्य कवितावां
पहेलियां
गळगचिया
टाबरां री पोथी
टाबरा री कहाणियां
टाबरां रा गीत
टाबरां री कवितावां
वेबसाइट वास्ते मिली चिट्ठियां री सूची
राजस्थानी भाषा रे ब्लोग
राजस्थानी भाषा री दूजी वेबसाईटा

राजेन्द्रसिंह बारहठ
देव कोठारी
सत्यनारायण सोनी
पद्मचंदजी मेहता
भवनलालजी
रवि पुरोहितजी

मीठालाल खत्री

नांव : मीठालाल खत्री
शिक्षा : बी.ए.
जन्म तिथि : 13-11-1949 ई.
जनम स्थान : सिरोही (राज.)
मौजूदा काम धन्धो : अध्यापन

पत्र-पत्रिकावा में छप्योड़ी साहित्यिक रानावां :
कवितावां अर कहाण्या अनेक पत्रां में छपी

दूजी सूानावां :
अन्तर प्रांतीय कुमार साहित्य परिषद् रा सदस्य

सदीव रो ठिकाणो :
डानीलेण, सिरोही (राज.)

मोजूदा ठिकाणो :
राजकीय प्राथमिक विद्यालय सांडबाब, जालोर (राज.)


मीठालाल खत्री री रचनायां

म्हारी उणरी बात

अंधारो
कारण
खुद रै खातर कोनीं
दिखावो
गुजारो
›डंड
नुवीं राह
पैली रात
फैसलो
बेटी रौ कागद
म्हारी-उणरी बात
सांन
असली धनपत
पतावौ
खाली-हाथ
सिलैक्सन
मरवा दम तांई

अंधारो

रामलाल !....हां रामलाल ई तो !... ओ ईज नांव तो ााल रहयो छे उण रो कॉलेज में. क्लास सर कॉलेज रा सगला यार-दोस्त उण नैं रामलाल कैय र बतलावै है...पण आठै गावं में सगला लोगबाग रामौ कैह नै बुलावै है...बाई-पापा ई रामौ कैवे। 'रमणलाल' नी सई, 'रामौ' ई सई... की कोनी !...पण गांव रा भाई ऊंाा लोग उण नै 'रामलौ' कैवे तो उण रो माथौ भन्नाट करण लाग जावै है।

वो उणां रै खिलाफ कीं कोनीं कर सकतो...क्यूं कै वो खूद जाणै कै इयां लोग री खिलाफत करण रो मतलब माथी भार करण सूं व्है है। कैई बार गांव में मामूली बात माथै माथा फाट ग्या है। ााकू-छूरा तक निकल ग्या है...सेवट ओ समझ लियो है कै गांव में रैणो है तो सामन्तवादी तत्वां री जी-हजूरी करणी व्हैला...भलै ई ए दूजां रै टाबर नै 'छोरो' कैवे अर खुद रै टाबर नै 'कंवर-सा' कैरावै...सेवट फरक तो कीं कोनीं पडै...पण आ मन समझावण री बात है।
देस री आजादी रै बात सामन्तवादी तत्वां री ताकत री कम हुवणी ााईजती ही, पण अठै उल्टी गंगा ााल री है...दिन दूणी अर रात ाौगुणी आ ताकत वधै री है। किणी नेता रो ाुनाव में जीतणो सोरो कोनीं, जद तांई वो नेता गांव-गांव रा ठाकरां-सरपंाां नै राजी कौनीं राखै...नै अगर ठाकर-सरपंा राजी व्है ग्या तो समझ लो कै उण गांव रा सगलां वोट नेता रा है। अजै गांव में ठाकरां अर उणां रै भाई-बन्दा रो रौब है...अर उण रौब सूं गांव री जनता आज ई उणां रा गुणगांन कर री है।
आज वो 'ारै आयो है। दीवाली री छुट्टियां बितावण रो मतौ करनै अठै आयो है। यूं उण रो मन गांव में आवण रो नीं हो, पण सोयो के तीनेक साल सूं गांव री गीवाली कोनी मनाई है; अबकै मना ई लैवै।
यूं दीवाली नै हाल दिन है, पण लोग-बाग 'ारां सफाई-सफेदी करण में लाग ग्या है। गांव री छोरियां अर लुगाइयां 'ार-आंगणो लीपण खातर पोठां लेवण गाया-भैस्यां रै लारै-लारै आकड़ियै तांई जावै परी है। कैई-कैई छोरियां तो आकड़ियै सूं ई 'ाणी अलधी जाय नै पोठां बीण लावै है।
उण रै 'ारे आवण सूं बाई-बापा कीं खुस हुवणा जाईजता हां; पण उणां दोयां रा मूंडा की उतरयोड़ा लाग रहाय है। 'ारै आवता ई वो सोाण लाग ग्या है कै बाई-बापा रा मूंडा उतरयोडा क्यूं है?
बैपोरे पछै वो आड़ोस-पाड़ोस रै लोगों सूं मिलण नै ग्यो तो...उणनै ठा पड़ ग्यो कै उण'रै बाई-बापा उदास नजर क्यूं आ रह्या है? वो पोता रै साथी-भायला रै बीा सूं उठ'नै 'ारै आ गयो। आवतां ई बापा नै आड़ै हाथ लिया-...म्हैन समझ में नीं आ रह्यो है कै थै थाणै क्यूं नीं ग्या?...रीपोर्ट तो लिखवाणी ई ााईजती ही? छ

थूं थाणा वाली बात कर रह्यो है...पुलिस वाणा आपां रा भाई कोनीं है...पैली जैब खाली करावै पछै बात करै...फैर हुवण-जावण वालो कीं कोनी...ननै ईज्जत-आबरू माथै बट्टो लागै सवाई में, वो अल'ाो...बाप उण'नै समझावण लाग ग्या।
हूवण-जावण वालो कींकर कोनीं ?...पुलिस वाला पूछताछ तो करसी ई ?...ए रात ई थाणै में राख लिया तो समझ लो कै फैर कदैई ऐड़ी हिम्मत आं लोगां रा टाबरिया कोनीं कर सकैला वो रातो-पीलो हुवण लागै है।
थूं कौनी जाणै, रामा...आपां नै गांव में रैणो है।वै जागीरदार है...पुलिस वाला ई उणां सूं धूजै हैं...पछै आपां री कोई हैसियत ?
इण रो मतलब ओ व्हियो कै आपां अत्यााार रै खिलाफ ाूं तकात नीं करां; ज्यूं ााल रह्यो है; ाालतो रैवे।...पैला आपां गुलाम हा, पण आज आजाद हां...आजाद देस में ई आपां री आ गत। आपां नै आई ई जाय'र थाणै मैं रिपोर्ट लिखवाणी ााईजै...
थूं जिद म कर रामा...उणां रो की कोनी बिगड़ैला...हालतांई तो बात ठण्डी है; थाणै ग्या पछै आ बात हवा ज्यूं फैल जावैला...अर जिण'नै ठा नीं है, उण'नै ठा पड़ जावैला...आपां री ईज्जत रो सवाल
बापा सूं मगजमारी करण रो की मतलबप कोनीं! वो बापा कनै सूं उठ'नै एक ढालियै में आय'नै मूंज रै मांाा माथै आड़ो व्है जावै है। सूतो-सूतो ई वो की गतागम में पजग्यो है।
इण तरियां तो नीाले तबके रा लोग-बाग माथों ऊंाो कर'नै ााल ई नीं सकैला! आ कोई बात व्ही कै एक ाालती छोरी री ईज्जत माथै कोई हाथ नांख दे...उण री बैन गवरी पोठा बीणण सारू आकड़ियै सूं अल'ाी ग्यी परी...सुनसान जगै देख'र उण की ईज्जत माथै आं लोगां रां छोरा हाथ नांख दियां...ईज्जत लूट ली!...आ कांई मजाक है !...आजाद देश में मर्जी आय जद कोई किणी री ईज्जत-आबरूं माथै डाको डाल सकै !!

वो थाणै जावैला...आं लोगां रै छोरां रै खिलाफ एफ.आई.आर. दरज करावैला...आं कांई दादागिरी मांड राखी है...देस'रै आजाद हुवता ई उणां री जागीर उखड़ ग्यी...अबै कांई मांग है! 'ार मे जिको भी है उण माथै दारूडां पीवो अर मारूड़ां गावो !...ाालती बैन-बेटी री ईज्जत लेवणी ठीक कोनीं...नींतर...नींतर कांई कर देवैला वो !...गांव में रैणो है तो आं लोगां अर उणां रै दूध धावतां टाबरियां नै जीकारो-मान देवणो ई पड़ैला।
उण नै ठा है कै आज ई गांव में नाई, भांबी, मेहतर तकात उणां री बेगार करै अर पावै है-दो टैम री रोटी। आज ई गांवां में नीालै तबकै रा लोग-बाग आं लोगां अर सेतां रै 'ारे सागड़ी है। वै ई उणां रा माईत है। उणां रै खिलाफ ाूं तकात करणो पाप है...
पछै वो एकलो उणां रै खिलाफ जावैला !...थाणै ग्या पछै कांई व्हैला !...अरे व्हैणो-जावणो कीं कोनीं...कीं पईसा थाणै वाला पटकाय लेवैला...अर कैवेला, सब ठीक करांला...पछै! पछै कांई ?...गांव में हाकौ फूटैला कै रामलै री बैन गवरी साथै आं लोगां रा छोरा बलात्कार कियो...बापा ठीक कैवै है हालतांई जिण'नै ठा नीं है; थाणै ग्यां पछै उणां नै ई ठा पड़ जावैला...बां रो तो कीं भी हुवण वालो नीं है..बाई री ईज्जत खराब हुवण री बात आजू-बाजू रा सगलां गांवों में पूग जावैला...सगला गिनायत ठोला दैवैला !
तो कांई वो थाणै नीं जावैला ?...हां वो नीं जावैला।पोता रै 'ार अर बैन रै भविस खातर नीं जावैला..तो कांई ओ इण'ज तरियां ाालतो रैवैला?...अंधारे सूं जूंझण वालो मरग्यो कांई?...हां मर ई ग्यो दीसै है! उण रै मन में अंधारै रै खिलाफ एक गूंगो गुस्सो आकर लेवण लागै हैं...

ऊपर


कारण

आण उण नै ठा पड़ ग्यो है कैं उण रैं 'ार में ओ सब क्यूं वहै रह्यो है। 'ार में टाबर-टींगर अर जोड़ायत समेत वे कुल नव जीव हैं। उण नैं लागै कै ए नव जीव नव ग्रह है। अर बारी-बारी सूं 'ार री कुंडली रै 'ारां में आवै अर पोता रो असर बतावै।

'ार रो हरेक प्राणी काम करण सूं हाथ पाछो खेंौ। काम करण सूं 'ाबरावै। ऐक सोौ कै ओ कैम म्हैं क्यूं, दूजौ करैला। अर दूजौ सौौ कै इण काम नै करण रो म्हैं कोई ठेको थोड़ो ई लियो है; तीजौ करैला। अर काम में ढिलाई आ जावै। लुगाई खुद उण काम नै टाबरां नैं भलो-बुरो कैवती करण लाग जावै।
आ बात तो है कै टाबर नैना हैं। सबसूं बड़ी छोरी बावीस बरस री है अर सबसूं नैनी छोरी सात बरस रही है। इण रै पछै जै राम जी की। पण दोय छोरियां के बीा में अड़ारै बरस री एक छोरी, बीस बरस रो एक छोरो, पनरै बरस रो एक छोरो अर बारै बरस नै दस बरस रा दो छोरां फैर। इण तरै सात टाबर-टींगर अर दो वै खुद 'ाणी-लुगाई-कुल नव जीव।
कैई वार 'ार में बड़ोडै छोरै पोता रै सगपण सारू लुगाई सूं 'ाणी माथा-फोड़ी करी है। पण वो छोरै रो सगपण पैली नीं करैला। पैली कदैई बात व्हैला तो छोरी री व्हैला; छोरा री नीं व्हैला।
आज उण नै ठा पड़ गयो है कै इण सब पंपाल री जड़ कांई है !...वो 'ार सूं ऑफिस जावै तो लागै के वो सीधो स्वर्ग में पूगो। नी कोई झंझड अर नीं कोई ान्तिा। ऑफिस रै काम में 'ार एकदम भूल जावै।
ऑफिस रै काम में मन यूं रम जावै, जाणै एक 'ाण्टो ई एक मिन्ट बण ग्यो। अर 'ारै एक-एख मिन्ट एक-एक 'ाण्टो बण जावै। रात 'ाणी मोटी लागै। लुगाई ई हैरान व्ही थकी कीं नीं कर सकै है। अन्न कम खावण सूं अर ान्तिा सूं पेट साव पतलो पड़ ग्यो है।
काल री ईज बात है कै वो ज्यूं ई ऑफिस सूं 'ारै आयो तो देख्यों कै 'ार रा सगलां ठाबर अर लुगाई मुंडा उतारियोड़ा बैठा हैं। पैंट-बुशर्ट उतार नै लूंगी पैरी अर लुगाई सूं पूछ्यो-'कांई बात हैं?'
लुगाई कीं नीं बोली पर फर्श माथै ई ाुनड़ी सूं मूंडां ढांप नै सूती री। वो लुगाई रै कनै ई फर्श माथै हेठो बैठो। थोड़ी जैज पछै लुगाई बोलीं-आ रोज री बरण म्हां सूं नीं व्है...कदैई मोटोड़ी रै मिराां लागै तो कदैई छोटोड़ी रै...
-बात कांई व्हीं ?उणै पूछ्यो।
-काल बड़ोडी भूखी री तो आज छोटोड़ी भूखी सूती है। ए तो अबै एक-दूजै रै हाथ री बण्योड़ी रोती खावैला ई नीं  !...छोटी-छोटी बातां माथै आये दिन रिसे बलै। एक काम करै तो दूजी मूंडो मरोडै
-कितरां दिन नीं खावैला।सोवण दे वो कैव नै ाुप व्है ग्यो।
बड़ोडी छोरी पण रै सांमी खाणो परोस दियो है। खावतो-खावतो वो सोा रह्यो हे कै किणी 'ार में दो बड़ी छोरियां नीं हुवणी ााइजै। आपस में दोय जणियां 'ार रै काम-काज रो बंटवाड़ों ऐड़ो कर्यो है कै सुबै रा बरतन वा मांजैला तो सांझ रा बरतन वा साफ करैला। वैपार रो खाणो उणै बणायों है तो सांझ रो खाणो बणावण री बारी दूजोड़ी री है। सुबै झाडू उणै काढ्यो तो बैपार रो रा झाडू वा काढ़ैला। आज गाभां बड़ोड़ी धोया है तो काल भारी छोटोड़ी री है। इण में रत्ती-भर ई ाूक पड़ गीय या फैर लुगाई किणी एक छोरी रै काम में मदद करै परी तो पछै देखो-महाभारत। हाथां-पाई तक नौबत जावै। वो इण महाभारत सूं बाण खातर मौन धारण कर लैवै। अर कैई बार खुद रा गांभां पोता रै हाथ सूं ई धोवै है।
अगर कोई बीमारी रै कारम काम में ढिलाई बरतै तो दूजै रो ओ आरोपा लाग जावैं कैं वा ढूंग कर री है। अर इण ढूंग सबद माथै माथा-कूट रो श्रीगणेश व्है जावै। पछै लुगाई कनै 'ार-गृहस्थी री बातां करण लाग जावै। मूंडो ााढ्योडीछोरी बारै कमरा में सुतोड़ी है। जिण छोरी काम कर्यो है, वा आज खुश है कै दूजी भूखी सूती है। अगर ओ इत्ती-सी बात ई छोर्यां नै कैव देवो तो पछै शंक रो तांडव-नृत्य शुरू व्है जावै। वो किणी नै कीं नीं कैवतो, क्यूं कै उण सबां में सहनशक्ति रो अभाव है।
एकाकएक बारै कमरा में छोरीं कीं बड़बड़ावै। लो लुगाई कनै ई बैठो-बैठो अंदाज लगावै कै मूख सूं अंतड़ियां भैली हुवण सूं कीं न कीं बोलती हुवैला। वो बारै नीं आयो। लुगाई कनै ई बैठो रह्यो। अर खाणौ खावतो रह्यो।
ऐड़ो कोई दिन नीं गुजर्यो, जिण दिन माथा-फोड़ी 'ार में नीं व्ही व्हैोटी-छोटी बातां माथै 'ार रो हरेक प्राणी मुंडो ााढ़ै। उणै खाणो खा लियो है। लुगाई फर्श माथे ई सुतोड़ी है। खाली थाली हटावण री जरूरत नीं समझतो। वो खुद ई उठ'र थाली बारै टंकी कनै रख नै आ जावै। पाछो लुगाई कनै बैठ जावै।
ऋीक एक-दो मिन्ट पछै बारै कमरा में मारण-पीटण री आवाज सूं उणै ठा पड़्यो कै बात कीं दूजी है। अर झट बारै आव'नै देख्यो के पनैर बरस दो छोरा बारै कमरा में भूखी सूतोड़ी छोरी रै थापां-मुक्का यूं मार रह्यो हैं, ज्यूं कोई ढांढा नै मारै। उणै छोरा नै पकड्यो। लुगाई ई बारै आई। महाभारत बंद करण में सहयोग कर्यो। पूछताछ करी तो ठा पड़ी कै छोरो कमरा मां ग्यो तो उण रो पग भूखी सूतोड़ी छोरी रै अड़ ग्यो। मूख सूं क्रोध शरीर में पसरयोड़ो हो, वो क्रोध बारै आ ग्यो अर छोरी छोरा माथे हाथ उपाड्योोरो पछै छोरो ई है। अर सहनशक्ति किणी में है नीं। पूरी पूनम नीं अर ओछी अमावस नीं।
महाभारत बंद हुवण रै पछै वो एक अलग कमरा में आव'नै सोाण लागै कै ओ महाभारत कोई एक दिन रो नीं है। ऐड़ो कोई दिन नीं उगो, जिण दिन 'ार में छोटो-मोटो महाभारत मयों नीं व्है।
मोटां टाबरां माथै हाठ उपाड्यो ठीक कोनीं। पण वो दुखी है कि 'ार रै सगलां छोटा-मोटां टाबरां मं सहनशक्ति, प्रेम, मैत्री री कमी है। इण कमी सूं ई छोटी-छोटी बात रै वास्तै आपस में जि करै। एक-दूजै माथै शक करै। आपस में बात खेंौ। कोई किणी रो काम नीं करै। कोई किणी रो हुकम नीं बजावै। अर कोई किणी नै कैव देवै तो पछै आपस में उलझ पड़ै।
यूं उण नै ठा पड़ ग्यो है कै 'ार में आपस में सद्भाव नीं हुवण रो एक सबलो कारण 'ाणा टाबर हुवणा ई हैं।
वर्तमान में सब 'स्व' माथे केन्द्रित हैं। 'स्व' लोगों री रग-रग में समा ग्यो है। 'ार अर बारै दोय जग्यां। खुद रै वास्तै ई सगली नफा री योजनावां बणआवै। 'पर' रै रै खारत कोई पण 'स्व' रो बलिदा करणों नी ाावतो। पोता रै गुण रा बखाण करनै 'स्व' नै ई मजबूत करण री होड़ हर लिहाज सूं हर ठौड़ लागोड़ी है।
वो ऐकलो सोा रह्यो है कि जिण तरियां उण रै परिवार मांय 'ाणा टाबर हुवण सूं आपस में प्रेम, हित अर मैत्री रो अभाव हुवतो ग्यो है, उण ईज भांत ई समूो देश में 'ाणी जनसंख्या हुवण सूं आपस में सद्भाव री कमी व्ही है। सगलां रां संबंध आत्मिक नीं व्है नै धन-दौलत सूं जुड़ गया है। सद्भाव री कमी हुवती जा रही है, अर हुवती जा रही है। एक-दूजा माथै सूं विश्वास उठ ग्यो है। सब शक रै 'ार में बंद है। कोई किणी रो दुख सुणण नै त्यार नीं है। आवता बरसां मांय ज्यादातर लोगां री मौत बीमारियां सूं नीं व्हैला; एक्सीडेंट, तनाव, दुख, ईर्ष्या सूं व्हैला।
उणनै लागै है कै समझौतावादी नीति रो अभाव, सहनशक्ति री कमी, पोता री जिद माथै अड़णो, पोता री ई ानिात करणी, हरेक नै शक री नजरां सूं देखणो जैड़ी सगली बातां मिनख रै रूं-रूं में समा गी है। वो सोा र्हयो है कै पाप-बुद्धि रो विकास इतरो व्हैं ग्यो है कै मिनख नै पोता रै अलावा दुजो कीं दिखतो ई नीं है। आभो टोपाली जितो लाग रह्यो है। मनख किणी नै नीं गिण रह्यो है।
अबै 'ार में आपस में सद्भाव नीं हुवण रो एक सबलो कारण उण नै आछी तरियां ठा पड़ ग्यो है। आगला जनम में 'ाणा टाबर करण री गलती वो पाछी नीं करैला।

ऊपर


खुद रै खातर कोनीं

सड़क माथै ाालती थकी वा सोौ कै पैला सूं अबै उणरौ सरीर थोड़ो भरीज ग्यो हैाती भी थरका लागी है। ऐकाएक पेटा रै कांनी देखात ईउणरी आंखां रै सांमी गोपाल री तसवरी आ जावै-भर्योडौ डील, उमर आ इज पाीस-तीस रै बीा में। दो बरस सूं उणरै साथै वो स्कूल मांय मास्टर है। वा ापरासण है। नीं जाणै कीकर वो उण री कानी आकर्षित हुवण लागौ !...ऐड़ो कोई देख्यौ उण में गोपाल !...कीं भी व्है, वो उणनै ााहतो हो, पण वा डरती ही...सब जाणै कै जुवांनी रो उफण तो अजीब व्है...वा भी छानै-छानै मिलण लागी। गोपाल 'ारै अकलो ई रैवतो हो...फेर कांई हो...दोय जणां खूब मिलता रह्या...पण अबै पेट मांयला री ठा दुनिया ने पड़ैला तो उणनैं कांई ओ नीं कैवैला-हरामजादी रांड़, माईतां रो मूंडो कालौ करता पैली खुद रो ई मूंडो कठैई कालो कर लेवती

...ए बातो सोाता-सोाात उणरी ााल धीमी व्हैगी। अबै कांई व्हेलाछ री ान्तिा उणनैं खावण लागी तो उण रै मनगज मांय 'ब्यांव करण री बात' आई...पण ब्याव तो करणौ हुवतौ तो बनरै बरसां री ही, उण समै ई व्है जावती। बाबा कोसिस भी करी हीोरो भी फूटरो अर कमाऊ हो, पण ब्याव रै खार्ा जितरा पैसा उण वखत 'ार में नीं है। बोहरा सूं उधार लैवनैं ब्याव करण रो विाार बाई-बापा तो कर लियौ हो, पण वा उधार लेयर ब्याव करण रै पक्ष में नीं ही...आखिर कांई करती?...अगर उधार लेयर ब्याव मंडायौ हुवतौ तो सायद आज तांई 'ार रो पट्टो तकात अड़ोणौ ई रैवतो...अर बापा टी.बी. रा बिमार हा...दो दिन ठीक तो पांोक दिन पाछा मांाो पकड़ नै बैठ जावता। 'ार रौ र्खा भी नींठ सजतौ हो। बापा तो महीना मांय दस-पन रै दिन ई नौकरी माथे जावता रहा। इण सूं तनखां भी रूकती-रूकती टैंम-बेटैंम कट-कटा नैं मिलती रही। उण तनखां मांय सूं फेर बाण री तो बात ई छोडौट्ठी-सातवीं पास करी तो बापा अठी-उठी लोगां सूं भाई-बापौ कर नैं एक स्कूल मांय ापरासण री नौकरी लगाय दी। नौकरी लागण रै ठीक ऐक बरस बाद ई बापा गुजरग्या हा...अबै वा ब्याव कर नै बाई अर नैना भाई राजू सू कीकर अलगी व्है जावै।
...इण विाारां मांण उण रै 'ार री गली आ गी। गली रै नाका माथै आवतां ई उणनैं ध्यान आयौ कै खादी री साड़ी माथा माथै सूं उत्तर नै खवा माथै आयगी है। झट सूं साड़ी ठीक करी अर 'ार कांनी ाालती री।
'ार मांय आय नैं देख्यो कै बाई रंदोली मांय बासण मांज री है।
-'राजू स्कूल गयौ परो कांई?' ललाट माथै आयौड़ा पसीना मैं जीमणा हाथ सूं पूंछती थकी वा कह्यौ।
-अबार ई गयो है। काम हो कांई? बाई पूछयौ।
-'हां...'
-'काँई काम हो?'
'उण नैं कालै म्हैं माथा री गोलियां दी ही...'
'माथौ दुखै है कांई?'
-'हां...'
-'देख, आलै मांय मेल नैं तो नीं गयो वो !'
-'देखूं' अर एक-दो मिनट ताई वा आले मांय गोलिया सोजती री...तो एक आले मांय गोलियां री पुड़ीक मिली। पाण  ीसूं एक गोली गिट ली अर फेर साडी उतर'नै वलगणी माथै मेल दी अर मैलो ओढ़णो ओढ़ नैं रंदोली मांय बाई रै कनै आयनैं बैठगी।
-'बैठी क्यूं है? खाणौ खा परो...' बाई कह्यौ।
-'अबार खावूं... माथो दुखै है...'
-'तो अठै क्यूं बैठी है...बारै जायनै खाटली माथै सू जा।'
वा कीं बोली नीं अर उठ'र बारे आय'नै खाटली माथे आड़ी व्हेगी। पेट मांयली गांठ रो ध्यान आवतां ई गोपाल रो ौरो उण रै आगे आ जावे। गोपाल उणनैं कित्ती ाावै है।...उण'रै आगै लारै कोई नीं है कै उणनैं की कैवे!...एकेलो जीव है...।
एक दिन गोपाल उण नै ान्तिा मांय जाण'र कैवण लागो हो-'ब्याव क्यूं नीं कर लेवां !...म्हूं कोई नटतौ तो हूं नीं...फेर ान्तिा कर-कर नै गल क्यूं री है?'
पण वा तो आ इज कैय तकी ही-अबै म्हनैं कीं सूझ नीं रह्यों है।
-'अबै ब्याव रै सिवा कोई दूजौ मारग नीं।'
-'नीं गोपाल, ब्याव कर नै म्हूं बाई नै राजू सूं अलगी नीं व्है सकूं।'
-'अलगी हुवण री बात ई कोनीं ! म्हूं भी थारै बाई नै भाई रै सागै रैय जावूंला।'
-'नीं...न्यात कांई कैवेला ?...जमाई री कमाण सासू नैं सालो खावै हो।'
-'लोगबाग तो केई बातां कैवैला...पण उणां सूं डरणो तो कायरता है।'
-'लोक-लाज मोटी है, गोपाल !...'
-'तो फेर गोली-वोली लेय'र छुट्टी कर !'
...खाटली माथे सूती थकी उणरै दिमाग माय 'ब्याव' अर 'एबार्सन' से दो सबत उतर भीखा म्हारी वारी करै रह्या है। वा किणनैं गलै बांधै? ब्याव करै तो भी अबखाई, अर नीं करै तो भी अबखाई! अठी नैं कुओ तो ऊठी नैं खाई! कठै जावै नैं कालो मूंडौ करै।...अगर वा ब्याव नीं करै अर पेट मांयला जीव नै पालती रैवे तो उण री जात रा मिनख कंई ओ नीं कैवैला कै, हरामजादी, कम सूं कम माईतां री ईज्जत रो तो ख्लाय राखती! जिनगाणी भर कुटुम माथै दाग लाग जावैला...!...तो फेर कांई वा ब्याव कर ले?...नीं...ब्याव करनैं गोपाल रै 'ारै वा बाई नैं भा ी रै साथै रैवैला तो मिनखा रा ठोलां उ ै ं खमणा ई व्हैला...।सारी जिनगाणी दुनिया रा ठोकां सूं तो ाोखौ ओ ईर्ज है कै कठैई कुआ-बावड़ी मांय गंठौ ौपै परो। हमेसा रै वास्तै देखणौ-दाणजौ तो मिटियौ। नीं जिन्दगी अर नीं ई करान्ति। हमेसा रै वास्तै ओम सान्ति!
खाटली माथै सुती-सूती कठैई जावण रो वा सोाण लागी तो दिमाग रै एक खूंणै मांय आतम-रक्षा री बात उपजी। ऐक तो वा है, जिकौ अगनकुण्ड मांय बलती थकी भी जीवणो ाावै ह। ऐका-एक उण रो मन उण नै धिरकार देवण लागौ।
हिम्मत सूं मुसीबतां रो सामनो करणौ ई जीवण है। मुसीबतां खातर जीवण सूं भाग नैं मरणो तो कायरता री सैनाणी है। पण ब्याव करण री हिम्मत तो वा मर्यां भी नीं कर सकैला। पेट मांय पण रह्यौ टाबर तो पटकावणो ई व्हैला...बस, आईज हिम्मत अबार तो वा कर सकै। अगर अबै ब्याव भी करै परो अर टाबर नीं पटकावै तो ब्याव रै यार-पांा महीनां बाद टाबर आवैला तो लोगबाग ए बातां ई करैला कै साली रूकियार रांड है...ब्या सूं पैली ई पग भारी व्हैग्यो!...आजकल री इण छोरिया ं नै काँ व्हैग्यौ है?
सेवट खालटी माथै सूती-सूती वा तै करै है कालै री टैम सफाखानै जाय'र नर्स सूं मिलै'नै गोलिया के इंजेक्स लेय'र बदनामी रे ठीकरा नै फोड़ न्हाखालै...माथौ हाल दुख रह्यो है...

ऊपर


दिखावो

ऐका एक उरमिला रै 'ार रै बार रिक्सो रूकता ई म्हारी विाार-तन्द्र टूट जावै है। मां अर पिताजी रिक्सा सूं सूं उतर 'ार कानी जावै है। रिक्सा वाले ने किरायो देयर म्हैं ई पिताजी रै संगातै व्है ग्यो।
म्हारै पिताजी नै देखता ई उरमिला री मां झटकै ऊभी व्है जावै। अर भींत रै सारै ऊभोड़ै मांाा नै ढालती थकी कैवण लांगी-'विराजो साङ ओ कैवङनै मांाा रै कनै ई नीो आंगणा माथे एक ाटाई बिछावण लागी। म्हैं अर पिताजी मांाा माथै बैठ ग्या अर म्हारी मां ाठाई माथे उरमिला री मां रै कनै बैठ गी।
-'कीकर पधारणो व्हियो सा?ङ उरमिला री मां 'ाणा हरख सूं पूछ्यो।
-'मिनख री गरज तो मिनख ती ई सरै...ङ पिताजी कह्यो।
-'ऐड़ी कांई बात है, सा !ङ
-आप रै एक छोरी है...
-ईश्वर री है, सा...
-म्हारै बेटा रै सगपण वास्तै आयो हूं
-धन 'ाड़ी अर मोटा भाग...भला पधारियां सा कैवता उरमिला एक प्ले में ााय अर दूजोड़ी प्लेट में नास्तो ले नै बारै आई। पिताजी री निजर उरमिला माथै पड़ै। उरमिला ााय अर नास्तो 'ार नै पाछी रसोई कानीं जावै परी।
पिताजी म्हारी मां कानी देख्यो तो मां बोली
-'छोरी तो ठीक है।ङ
-'जिकी है तो आ है...ङ उरमिला री मां मुलकती थकी कह्यो।
-'फेर कठैई सगपण री बात करी तो नीं है?ङ छाय रो एक 'ाूंटियो लेवता थका पूछ्यो।
-'कठैई तो नीं व्हीं...ङ
-'क्यूं ?ङ
-'क्यूं कै सगलै दायजै री मांग राखी अर म्हूं दायजो कठूं लाऊं...अठै तो नीठ गुजारो व्है है।ङ
-'सेवट मोटी बात विधाता रै लेख अर अंजल री है।ङ ााय पीता-पीता पिताजी कह्यो।
-'सही फरमायो।ङ उरमिला री मां बोली।
-''ारै ग्या विाार करोला...सेवट करम-लेख लिख्या उठै बाई जावैला ई।ङ पिजाती कैव नै ााय रो कप खाली कर दियो अर मांा सूं उछठ ग्या।
म्हारी मां ई उठ गी। पछै म्हैं ई उठ नै पिताजी रै साथे उरमिला रै 'ार सूं बारै आ ग्यो।
एक नीमड़ै नीो ऊभा पिताजी रिक्से री बाट जोवण लागै है। म्हैं ई पिताजी कनै ऊभो हूं। ऊभा-ऊभा पिताजी मां सूं बात छेड़ी-'छोरी तो दिखण में ठीक है, पण दायै री आसा नीं है।ङ
-'ओ तो साव कांामें दिखै है।ङ  मां हां-में-हां मिलायो।
म्हारै सूं रह्यो नीं गोय। फाटक मुंडै सूं निकलयो-'पिताजी थांने दायै री बात सोभा नीं दैवतीं। क्यूं कै थैं दायजै जैड़ी खामियां नै समाज सूं खतम करणी ाावो हो। आपरी कहाणियां अर कवितावां में दायजौ सैकड़ो वार कतल व्हियो है...पछै म्हारी समझ में नीं आवतो के बाण मांस अर हंस भष्ट कींक जीमै !ङ
-'कहाणियां लिखणी अर उणां माथै ाालणो, दोय न्यारी-न्यारी बातां हैं।ङ पिताजी कह्यो।
-इण रो मतलब कै आप रा आदर्श किताबां रा फगत पन्ना हैं...ए सब आम आदमी रै वास्तै है। आप रै खुद रै जीवण मांय इण आदर्शा रो कीं अस्थ कोनीं।...पानी कै आपरो सगलो लेखन एक दिखावो हैं, कपट हैं...धोखो हैं म्हैं पिताजी नै सुणायो।
इतरे में रिक्सो आ ग्यो। रिक्से मांय बैठ ग्यां। पिताजी कीं बोल्या नीं। मां ई मुनि-वरत धारण कर लियो।
रिक्से में बैठो-बैठो म्है एकलो सोाूं हूं-एक साहितकार री कथणी अर करणी में इतरो फरक है...तो एक आम आदमी दायजै जैडी बुराइयां रो विरोध कींकर करैला..इण भांत तो दायजै रो अजगर उरमिला जैड़ी कोई छोरियां नै आखी ई निगलतो रैवैला।

पिताजी रै विरोध में म्हारै मन में एक गूंगी रीस पैदा हुवण लाग गी है। इण रीस सूं  म्हारै अर पिताजी रै बिौ ऐक दिवार ऊभी हुवती निजर आई।

ऊपर


गुजारो

वा लेक्ारार साङबा नै कै देसीक अब वा काम करण रै वास्ते नी आवैला। उणनै पौता रै कस्बा मांय ई डर है कै कदेई कोई उणरी इज्जत माथै हाथ उपाड़ैलाई। उण में एक एड़ौ खीाांव है कै ाालतां लोगां री आंखां उण माथै जम ईज जावै। वा नीं तो बरफ जैड़ी गौरी है अर नीं ई इतरी करूप है कै देखता ई 'िा्रणा व्है जावै। वा सांवली है। लेक्ारार साङब रै बठै काम करै है अर उणरो गुजारो की करङनै ई हो जावै। लेक्ारार साङब रै 'ार सूं पौता रै 'ार तक रै रस्ता मांय ाालती थकी उणे पोता रै लारै कैई वार छोरां रै मूंडा सूं सीट्यां निकलती सुणी है। अर कैई बार भूंड़ी-भूंडी बातां ई। साली गजब रो माल है। देखातां ई मूंडो पाणी सूं भरीज जावै। अबै वा अठै नीं रैवैला। पौता रै मामा रै गांव जावैला। वठै सैठां रा 'ार है। उणरो पेट तो भर ईज जावैला। खाणो बणाय देसी अर पाणी रा ठाम भर देसी। वठै मगरा नी है...नीतर लकड़ियां लाय नैं बेाती। यूं वठै हाल तांई फेमिन रो काम भी ााल रह्यो है, पण वा फेमिन मैं हर्गिज नीं जावैला। वो नरक है। भुगत नै बैठी है वा। उणनैं हाल तांई याद है कै...
-केसी ! ओसियो उणरो गांव बोल्या ।
वा हाथ जोड़ नै साङबा रै आगे ऊभी होयगी।
साङब उम कांनी देखण लगा। सांवला रंगा री दुबली-पतली केसी सोयो, सायद साङब अबै आंख मारैला, पण आंख नी मारी। मस्टरोल में हाजरी भरणवाला मुरारी कांनी देखतां थका बोल्या काम माथै तो बराबर आवै है नी?
-'ना रे साङब, बीा में दो दिन गैर हाजर रीङ मुरारी साङब रै कैवण रो अर्थ समझ लियो हो।
कैसी रै तन में लाय लाग गयी। वा बोली-'ना साङब, म्है तो रोज आऊं। मुरारी तो झूठ बोलै है।ङ
-'साली, झूठ भोलै है थूं...मुरारी आगे फेर की बकतो, पण ओसियो उणनैं ाुप राखतां कह्यो-आ ता-तू ठीक नहीं है। म्है किणी रो भी पगस नीं लेवुंला। पछै केसी री कांनी देखता थकां कह्यो-देख अठै आव, रजिस्टर तो झूठ नीं बोलतो ?...देख, इण में गैर हाजरी लगी है।ङ
वा ाुप ही। ओसियो केसी रै हिसाब रा पईसा गिण रह्यो हो। मुरारी साङब कनै ई ऊभो हो। केसी नै मुरारी माथै सक हुयो। मुरारी ई गैर हाजरी लगा दी होवैला। सालो हरामी!..कमीणो!..नीा...! पराई-कुंवारी छोरियां माथे हाछ फैरे। सालो खुद ऐस करे अर साङब नै भी राजी राखै। कदेई नोट पकड़ाय नै तो कदेई कुकडी देय नै...रात बितावा सारू कोई रुपाली छोरी...इम तरै साब रो मूंडो बंद राख्यो हो। साला, कीड़ा पड़सी थारी माटी में। वा मुरारी री पकड़ में नीं आई, तो गैर हाजरी लगाय दी। नकटो कठैई रो ई !...वा कोई रम्भा नीं है, सीता नी है अर फूली नीं है कै सरीर बेाती फिरै ! वा केसी है...पकड़ में को आवै नीं...भोंथरा गड़ासा सूं माथो उतार फैंक देवैला, कदेई आंख उठाय नै ई उण रै कांनी देख्यो तो...
-'ले गिण ! ओसियो उणनैं हिसाब दियो।ङ
गिणण सूं मालूम हुयो कै दो दिनां रो पईसा काट दिया है।
-अबै बराबर आवजै। साङब कह्यो।
कुण आवैला ! अबै वा नीं आवैला इण नरक में...अठै ऐड़ा ाोर, गुण्डा लुाा-लफंगा है। जिका ऊपर सूं तो एकदम साफ है, पण 'ाट मांय गन्दगी रा ढेर है। पण वा पौता रो सरीर नीं बेौला। दो वेला री रोटी तो कठैई मिल ई जावैला।
अर पछै, फेमिन रे बाद, लेक्ारार साङब रै 'ारै खाणौ बणावण जावती री।
अर केसी सड़क माथै ाालती री। काला रंग रो कोट पेरयोड़ो एक आदमी उण रै कनै सूं ााल्यो। अंधारा रै कारण ौरो साफ नीं दिस्यो कुण हो? लाग्यो ओलखणो ई...खैर...होवेला कोई, उणनैं कांई करणो है-फेर की दूर पान रै गल्ला माथे कॉलेज रा तीन छोरा ऊभा-ऊभा सिगरेट ताण रह्या हा। साल पाक ग्या मां-बाप रा नंग। लफंगा!..काल री ई तो बात है कै सुनारां री गली मांय बलिया री एक जवान छोरी रै गलाय मांय सूं सोना रो हार लेङयर भाग ग्या, दो छोरा...अंधारा में बापड़ी छोरी उणां नै पैहााण ई नीं सकी। थाणा में रिपोर्ट ई दरज कराई, पण पतो नीं लागो।
इण आवरा छोरां रो कोई भरोसो कोनी। कद कांई कर ले? यूं उण रै कनै की भी नीं है। सांवली पतली देह रै सिवा। पण उने विश्वास नीं आवै। कद साला रै दिमाय माय फितूर उठै, अर उण रै साथै कीं रो कीं कर ले...इण कोलतार री ठाडी सड़क माथे उणनै पकड़नै सड़क सूं दूर किणी सूनी जगां लै जावै नै जंगली-पणो कर नीं लेंे !...ऊ...हूँ...कीकर पकड़ै वा भी तो देखै। वा कोई कमजोर थोड़ी ई है...सोाती थकी वा आगे ाालती रीोरां उण री तरफ देखण लागा तो केसी रे सरीर मांय भय सूं एक ठाड़ी सिरहन ााली। ऊण री छाती ऊपर-नीो हुवण लागी। हरदै री 'ाड़कणा तेज हुवती मैसूस होवण लागी। गल्लो लारै रेग्यो। सड़क रै मोड़ माथै वा आ गी है। अबै सीधी सड़क है उठां सूं थोड़ी दूर ाालीकै एक गली आसी अर उण में वा 'ाुस जावैला। गली खतम होवै, वठै उणरो एक छोटो कमरो है। केसी रै आगे लारे कोई नीं हैं। एक भा ी है जो उण सूं पांा बरस बड़ो है पण वो नीं हुवण रै बराबर ई है। मां-बाप जो पईसो-टको छोड़ने ग्यो हा वो तो सारो-ई-सारो एक ई झटका मांय भाई उड़ा दिया। फेर कमावण री बात आई तो सनीमा रै गेट माथै रैग्यो।  ्‌र कदेई ाोर री तरियां दारू री बोतलां भी बेातो रैवतो। रात में वो कूतरा री भांत 'ार मैं आवनै मूंज रै टूटोडा मांाा माथै सोय जावतो। सुबै आभा मांय सूरज भगवान मगरा सूं दो गज ऊपर ाढ़वा रै पछै वो उठतो। 'ार में ााय नीं बणती रही। हाथ-मुंडो धोय रात री बासी रोटियां ई राता मिराां री ाटणी सूं खाय नै पोता री रोजीना री जिंदगी बितावण सारू निकल जावतो हो...बारै वो कांई करतो अर कां ी नी करतो, केसी नै कीं ठा नीं हो। वा मेहनत-मजूरी करनै पेट भरती ही।
एक दिन सांझ री टैम वा 'ारै आई ही तो उणैं देख्यो कै मकरा में फर्स माथै खून रा छींटा बिखरयोडा हा। अर उणरी साथण सरजू रो सह्यी हो। 'ार रै बारे मिनखां री खासी भीड़ ही। भाईए सरजू की इज्जत माथै हाथ उपाड्यो हो। सरजू री जिंदगी मांय कांटा बोय दियां हा। इण केस मांय भाई नै जेल होयगी। जेल में गयां ने दूसरे बरस ााल रह्यो है।
वा पौता रै 'ार में  आगी है। काल लेक्ारार साङब सूं कैवैलाक अब वा काम करण वास्तै नीं आवैला। उणनैं रास्त मांय डर लागै है। एकली जाण नै कोई उण रै साथै बदनामी कर सकै। किणी रो ई की भरोसो नीं..
-'अबै म्हैं नीं आवूंला, साङब...ङ
-'क्यूं?ङ
-'मामला जाय री हूं। अबै बठै ई रेवू लां। वा ओ कीकर कैवै के इण कस्बा मांय उण री इज्जत असुरक्षित है।ङ
-'आज सांझ रा तो आवजै परी। खाणौ ई बणाय दीजै अर हिसाब ई ले जाजै।ङ
साङब री बात केसी मंजर करी।
सांझ रा खाणो त्यार हुवण रै पछै...बारणा माथै ऊभी केसी की सोाण लगी।
-'कांई सोा री है, केसी?ङ साङब पूछ्यो।
-'अंधारा में डर लागै है। किणी नै साथै भेजो...ोहरा माथै उदासीनता तिररी है।ङ
-ठैर..अबारा लड़कां पढ़ण नै आवता ई होवैला..ले गिण, ओ आज रो हिसाब।
उणै नोट लिया अर गिणया। हिसाब पूरो हो।
थोड़ी जैझ पछै छोरा आया। साङब एक सूं क कह्यो के वो केसी नै 'ारै पूगा आ जावै। केसी उण छोरा साथै ाालण सारू त्यार होयगी है।
रस्ता में वे दोय जणा साथै-साथै ाालता रह्या। दोनूं जणां आपस में कीं बोल्यां नीं। सिरफ दोय एक-दूजा री तरफ देखङनै मुलक जावता।
केसी रो 'ार आग्यो। दोनूं जणां 'ार मांय आया। पास-पड़ौस में कोई नीं रैवण सूं गली में खामोसी है। लड़को उण री तरफ देखण लागौ। केसी समझयो के वो जावण री अनुमति आंखां सू मांगतो होवैला। वा भी उण री तरफ देखने मुस्करा दी वो उण रीं तरफ बढ़ग्यो। वा डरगी। उणरै डरता ई छोरा कूतरा री भांत केसी रै माथै झपट्यो अर झट सूं जेब मांयलो रूमाल निकाल नै केसी रै मूंडा में ठूंस दियो। वा धड़ाम सूं ठण्डा फर्श माथै पड़गी। लड़का रै हाथ में ामामावतो ाक्क हो-खबरदार! ाूं भी करण री कोसिस करी तो ाक्कू छाती रै आर-पार कर देवूंला।
जीवण रो मोह किण नै नीं है! केसी ाूं तक नीं कियो। सब सहन कर लियो...रोवती थकी...
जावती टैम वो लड़को कैवनै ग्यो-साब नै बात कैव दी तो थनैं जीवती ई जमीन में 'ाालूं परी।
वा रात भर रोवती री। अबै अठै नीं रेवैला। कितोर दौरो है पेट भरणो खासकर उण लड़की रै वास्तै जिण रै आगे-पूठे कोई नीं होवै।
वा मामाल आगी। पाणी भरण रो काम करती। रोज रा पाीस-तीस ठाम हो जावता। एक ठाम रा दस पईसा है। आखिर पौता रो खावण खार्ो रै छोरां माथे पड़ण नीं देवतीं।
दो महीना पछै...
एक बार राजा करण री बैला एक सेठ रै 'ारे पाणी भरण सारू आई। उणङनै 'ार सूनो लागो। आज सार ई कठै ग्या?
-'केसी! आज दो-तीन ठाम ई भरजै।ङ सेठ रै लड़का री आवाज है।
-'क्यूं?ङ
-'कालै सांझ रा बाबूजी अर बाई टाबर-टींगर लेयङर विवाह में ग्या है।ङ
-'तो ठीक है..दो तीन ई भरूंला।ङ
पाणी रा तीन ठाम भरण रै पछै...
-'एक ठाम ऊपर मैड़ी माथै रख आवजै।ङ
वा ठाममेलवा मैड़ी माथै ाढ़ी कै लारै-लारै छोरो भी ग्यो परो। अर ऊपर ही, ठेठ लारला, कमरा मांय केसी ने पकड़ ली। वा सब समझगी। वो उणनैं दस रूपयां रो नोट पकड़वाण लागो। वा लेवण सूं नटगी।
-अठै कोई नीं देखैला, वो उणनैं खेंावण लागो।
-छोड म्हनैं...वा दोड़ण री कोसिस करण लागी, पण लड़का री पकड़ मजबूत है।
-'साला!..जंगली !...ऊं...ई...ई...उफङङ...ङ
अर दस रो नोट केसी रै हाथ में है।
आज फेर ओ कांई हुयो?..अठै वा सुरक्षित ही..फेर कीकर हुयो? सरीर बेंाण रो धन्धो तो वा पौता रै कस्बा में ही कर सकती ही। अठै आंवण सूं कांई होयो?..सब ठौड़ सरीफ बदमास है। कठेई जीवणो ठीक नीं है। अर अगर जीवणो ाावै तो उणनै आज री इण गन्दी परिस्थितियों सूं समझौतौ करणो पड़ैला। उणां नै कितरो आराम है जिकौ समझौतौ कर बैठी। रम्भा सीता अर फूली...कांई ग्यो उणां रो! वा भी इण परिस्थितियां मांय पौता नै फिट करैला?..कितरो आराम होवेला! मन ओढ़ भी लेवैला अर खाय भी। पण वा हाल तांई कोई निर्णय नी ले पायै री है।

ऊपर


डंड

इण इस्कूल में तबदालो हुयां नैं ओ ाौथौ महीणों ााल रैयौ हौ। आं यार महीणां में हैड मास्टर साब स्टाफ नैं समझण री 'ाणी कोसीस करी, पण वै समझ नीं सक्या। सिरफ तीन नुंवा मास्टर ई ऐड़ा हा, जिसाक साफ-साफ बात खोल नै, कैवता! दूजोड़ा तो मूडै माथै कीं और ई कैवता अर परपूठ कीं और ! आं तीनां माथै हैडमास्टर साब रो पूरो विश्वास हो। वां नै स्टॉक बाबत कोई जाणकारी ााईजती तो वै आं तीनां सूं ई सला-मसविरो कर लेवता।
आं यार महीणां में वां इण बात रो पत्तो लगायौ कै ट्यूसन ाालै है या नीं। वा नैं जाणकारी मिली है ट्यूसन तो धनाधन ाालै, पण ाालै थोड़ा दिन सारू ई। परीक्सा रै महीणै-पन्दरै दिन पैली ई अर जिकी परीक्सा खतम हुया तक ाालती रैवे। इण तरै मास्टरां नै तिणख्यां रै अलावा कीं इनकम भी हुय जावै। कित्ती-क इनकम होती व्हैला? हैड मास्टर साब जद इण बाबत् पूछताछ करी तो पतो लाग्यो कै इनकम तो ठीक ई हुया पण जावै सिरफ तीन मास्टरां है ई खूंजां मैं, जिका अठै खासा प्रभावशाली मान्या जावै। हैड मास्टर साब नै आ बात कीं कमती दाय आई अर जद आ ठा पड़ी कै आ परिपाटी लारला कोई बरसां सूं ााल रैयी है तो वां इण नै खतम करण री पक्की धार लीवी।
एक दिन इस्कूल में सगलां मास्टरां री मीटिंग बुलाई। वां मास्टरां नै साफ-साफ कैय दियो कै जै ट्यूसन करण री इंछा हुवै तो सगलां मिलङर करो, म्हैं आ नीं ाावूं कै एक जणो तो तीस-ाालीस छोरा लेयर बैठ जावै अर दूजा देखता ई रय जावैं। आप सगला जाणओ कै आं लारला बीस दिनां में स्कूल में छोरां री कैड़ी-क पढ़ाई हुई है, आ कोई ाौखी बात नीं है पण, हालत फगत म्हारै अकलै रै ाायां सूं ननीं सुधर सकै, जद तांई कै आप लोग इण नैं सुधारण वास्तै त्यार नीं हुवालो।
हैड मास्टर साब आपरी बात कैवता रैया, पण मास्टर लोग या तो नीाो माथो कर्योडो या निरलेप भाव सूं वां रै ोरै सांमी झांकता रैया अर बिना बात री काट या समर्थन कर्यां ाुपााप सुणता रैया।
हैड मास्टर साब आगै बोल्या-जे म्हारी बात गलत हुवै, तो उण नैं काटो नींतर सगला मिल नै रैवो! म्हैं आ बात तो कत्तेई नीं ाावूं के एक-दो जणा तो ट्यूसन कर-करङर भरपूर कमाई में लाग्या रै वै अर दूजा मूंडो ताकता रैवै...
-सर; एक बात है! एक जणो सकतो-सो बोल्यो-गड़बड़ हुय जावैला। अर हुय सकै कै इण सा री इनकम माथै पाणी फिर जावै!
-कीकर? खुलासो करो!
-जे कोई ट्यूसन करणो ई नीं ाावै तो...
-अठै आ बात कोनी। दो पीसा कुण कमावणओं नी ाावैला। एक बात म्हैं फेर साफ कर दूं, आप लोग सोाता व्हौला कै हैट मास्टर तो पढ़ावेला नीं अर आप रो हिस्सौ मांगण नैं त्यार हुय जावैला। आप लोग आ बात ख्याल सूई निकाल दीजो। म्हनैं कोई रो रातो पीसो ई ााईजै नीं, अर नीं म्है इण तरीकै सूं कमावणो पसंद करूं। पण खैर।
मास्टर लोग ाुपााप बैठा सुणता रैया। सेवट एक मास्टर हिम्मत कर नै बोल्यौ-अबकै ट्यूशन ई नीं करांला। अर दूजोडां मास्टरां भी आप-आप रै तरीकै सूं उण री बपात में हामी भरी।

परीक्सा सरू हुयगी ही।
एक रात रा हैड मास्टर साब गांव में यूं ई नीकलया। वां देख्यो कै सांमी सूं दो छोरा आवै हा, वां रै हाथां में किताबां भी ही। वां छोरां नै रोक नै पूछ्यौ-कठै जा रैया हो?
-कठैं ई नीं।
-जा तो रैया हो!
-सुरेश रै 'ारां पढ़ण नै जा रैया हां।
अर छोरां तेजी सूं आगे नीकलग्या।
-नमस्ते हैडमास्टर साब ! एक सेठ साब सांमी सूं आवतां थकां हैडमास्टर साब नै देखङर नमस्ते करी।
-नमस्ते सेठजी, कठीनै जा रैया हौ?
-ाौवटा तांई 'ाूम नै आवूं..पण हां, एक बात तो बतावो, ट्यूसन री आज काल कांई रेट है?
-ट्यूसन माथै कठै भेजो हौ छोरां नै?
-एक मास्टरजी रै अठै।
-नांव कांई है?
-नांव तो जाणू नी। वैं ठिंगणा-सा है ना। बीस रिपिया मांग रैया है।
-मांगता व्हैला! हैड मास्टर साब थोड़ा अणमणा-सा हूग्या।
-आप कोनी जांणौ कांई?
-नहीं...बिल्कुल नहीं..अर आगै बढ़ग्या।

'ारै आयङर मांौ माथै सूता-सूता सोाता रैया, छोरा कित्ता ाालाक है। इण रो मतलब ट्यूसन तो उणी भातं ाालता व्हैला। पण खैर, कीं नीं, इण साल तो आगली साल तांई आ गलत परिपाटी बन्द व्हैला ई। आं मास्टरां रै भरोसै तो छोरां अर देस रो कल्याण हुयोड़ो ई है। सिक्सा रो स्तर दिनो-दिन गिर रैयो है, अर आ मास्टरां नैं इण बात री कोई ान्तिा नीं है।
इस्कूल रो पास-फैल बणङर त्यार हुयग्यो। सुणण सारू छोरा ऊंतावणा हुय रैया हां। गांव रा भी खासा मिनख आया हा। कुर्सियां खाली पड़ी ही। हैडमास्टर साब अर दूजा सगला मास्टर हाल ऑफिस में ई हा। थोड़ी-सी देर में कुर्यियां भी भरीजगी। सांमी मेज माथै फीका पोपटी रंग रो कागद पड़्यो हो। बिना किण उछाव रै हैडमास्टर साब ऊभा हुआ अर दो सबद कैवण रै बाद वां रिजल्ट सुणावणो सरू कर दियौ। अबकालै रिजल्ट कीं नुंवै तरीके रो हो। कुलमिलायङर साठ प्रतिसत रिजल्ट रैयौ। इत्तो कम रिजल्ट कदैई नीं रैयो। लोग-बाग आपसरी में कैवण लाग्या-हैड मास्टर साब 'ाणा सखत रैया। नकल री भलै नांव ई कैड़ो हुवै!
पास-फैल सुणवां रै एक लखपती सेठ हैठ मास्तर साब कनैं आयौ अर कैवण लाग्यो कै उण रै छोरै नै किणी तरै पास कर देवो! जे हैड मासट्र साब ाावता तो सौ-डेढ़ सौ लेय नै ओ काम कर देवता, पण वै तो इण काम रै सखत खिला हां। वां सेठ साब नैं कैयो-सेठजी पास करणौ तो म्हारै हाथ री बात कोनीं। हां इत्तौ जरूर कर सकूं कै आपरो छोरौ जिण-जिण विसय में फैल है वै कापियां आपनै खोलनै दिखा सकूं !
-कापियां तो कीं देखणी कोनी। आप तो कीं कर नै पास करता हुवो जिकी बात करो।
-सेठजी, आ बात नीं ाालै। आप एकला इज थोड़ा हो? आपरै लारै-लारै नीं जाणै कित्ता लोग-बाग और आवैला। आप ई बतावो म्हैं किण-किण नैं इम तरै राजी राख सकूंला? म्हारै हाथ री बात कोनी कै मरजी आवै जिकै नैं पास कर दूं!
सेठजी कीं बोल्यां नीं अर 'ारै आय नै हैड मास्टर साब रै बारां में सोाण लाग्या-हैड मासट्र खुद नैं कांई समझ रैयो है। म्हारी बात पूरो गांव माने अर उण एक हैड मास्टर री इत्ती हिम्मत कै म्हारी बात टाल देवै। इण बात रो जे म्है उण नैं मजौ नीं ाखायौ तो असली बा रो नीं।
-सेठ साब मांय है कांई? एक मास्टर, जो उणां रै छोरा नैं पढ़ावतो हौ, सेठ जी रै 'ारां आय नै पूछ्यौ।
-कुण व्हैला? सेठ जी खुद बोल्या।
-म्हैं, मास्टर...
-आवौ, कीकर आवणऔ हुओ?
मास्टर सेठ कनै बैठतो थको होल्यो-हैड मास्टर साब आपरी बात नीं मानी, म्हनैं 'ाणो दुख हुयौ। म्हनै तो पूरो भरोसौ हो कै गणि री कापी म्हारै कनैं आवैला पण नीं आई। जे म्हनैं मिली होती तो आंख मींा नै पासिंग नंबर तो दे ई देवतौ।

-कोई बात नीं! आप देखता रो, कैड़ो मजो ाखावूं? अर फेर दोनूं जणा हौले-हौले सला करवा लाग्या।
इस्कूल री छुट्टियां पड़ रैयी ही। हैड मास्टर साब बस स्टैण्ड माथै आय नै अक सीठ माथै आपरी दो थेलियां मेल दी। बस रवाना होण में हाल देर ही इण वास्तै अठी-उठी फिरता रैया। ााय पीवण री इंछा हुयी तो होटल आलै नैं एक ााय रो आर्डर देय नै उठै उभग्या। ााय पीवतां ई बस रौ हारन बाज्यौ। वै जल्दी सूं ााय आलै नै पीसा देय नै बस में आ बेठा।
इत्तै में बस दों पुलिस आला ाढ्या अर मुसाफरां रै सामना री ौकिंग सरू कर दी। हैड़ मास्टर साब सोयौ सायत बस में दारू-वारू या कोई अवैध जीा ले लावण रो सक हुयो व्हैला। वै निसिंत हुयोड़ा आपरी सीट माथै बैठा रैयो। पुलिस आला सेवट हैड मास्टर साब कनली सीट री ौकिंग करण लाग्या। वां हैड मास्टर साब री थैलियां ऊपर सूं हेठी उतारी अर देखवा लाग्या। हैड मास्टर साब हाल भी मूंछ ताण नै बैठा हा, क्यूं कै वारै कनै नीं दारू हीं, नीं गांजो-तमाखू या ऐड़ी कोई भी अवैध ाीज जिण में पुलिस बरामद कर सकै।
थैली मांय ाींथरा री एक पोटली मिली। पुलिस आलां पूछ्यो-इण में कांई है? अर वै हैड मास्टर साब सांमी बिना देख्यां ई पोटली खोलण लाग्या।
हैड मास्टर साब 'ाबरीजग्या हा-आ पोटली कठा सूं आई? इण में कांई हुवैला?..जै बजरं बली, आव बेली...अमल नीकलयो अलम! अठै थैली में...गजब हुयग्यो!
पुलिस हैड मास्टर साब नैं थांणै लेग्या।
पूरै गांव में हाकौ फूटग्यो कै हैड मास्टर जी अमल लेजावता पकड़ीजग्या। वो ई सेठ जिरो छोरौ फैल हुयो हो, एक मास्टर नैं कैया रह्यो हो-छोरै नै पास करता परा तो बांरो कांई जावतो पण बात नीं मानीं सो मजो ााख ई लियो।
वो मास्टर, जिण माथै हैड मास्टर साब रो 'ाणओ विस्वास हो, कीं बोल्यो नीं, उण रो मन दुख सूं भरीजग्यो। अर हौलै-हौले उण में एक गुरूओ आकार रेवण लाग्यो।

ऊपर


नुवीं राह

बहू, पाणी...मांा माथे सुतोड़ी सास पूरी कैव ई  नी सकी कै खांसी सरू वुई। खूणा में बैठी केसी झट उठी अर सास रै कमजोर मौरां माथै हाथ फैरवा लागी। केसी रीढ़ री हाड़कियां सांव गिण सकै। सास दाड़ै-दाड़ै थाकै रिहा है। पण वा बी कांई कर सकै? सास सफाखाना री दवा लेवा सूं सांव मना कर दियौ है। अर फेर सास नै पांणी री वोटी दी।
'ाणी गमर है पाणी पिधौ बाद कह्यौ।
पंखी सूं हवा करूं?अर केसी भीत माथे टांगयोड़ी पंखी ले नै हवा करवा लागी।
सास बहू रै लांब अर उजला ोहरा री तरफ देख्यो, उण री खूबसूरती माथै उदासीनता तैर री ही। केसी रा सूखा बाल बेतरतीबी सूं कांना माथे बिखरयोड़ा हा। पण उणै कांई मालूम ही कै विधाता उण रै 'ाणी री उमर कम राखी ही। अगर उणै ठा वैतो तौ वा बी सावित्री री तरह यमराज रौ पीछौ करती अर वर मांगती। सास री आंखां एक 'ाड़ी डबडबा आई। केसी पोता री ओढ़नी सूं सांस रा मोती सरीखा आंसू पोंछती थको कह्यौ-'सासूजी, थैं अतीत नैं भूल क्यूं नीं जावता?ङ
कींकर भूलुं, बहुं?सास री धीमी आवाज।
तौ फेर रै-रै नै मन नै दुखावां सूं फायदौ कांई? इणती अछौ तौ ओ है कै आपां बितौड़ा वगत नै यूं मिटा दौ कै आपां रो उण बितौड़ी यादां सू कोई बी रिस्तौ ई नीं है कैसी उसीणै बैठ गयी।
थोड़ी जैज पौ आभा में बादल गरजवा लागा। आज सुबह सुं आभौ बादला सूं भरीज ग्यौ हौ। यूं लागै रिहौ है कै सूरज दिखायी बी नीं देवेलााटां आवै री है कांई?एकाएक सास पूछ्यौ।
ऊं हूं...। आगे फेर कैवती, पण सास रो जीव 'ाबराती देख उण रै मौरां माथै हाथ फैरवा लागी। उलटी वैठई, पण वुई नीं। अर फेर बोलीं-छ
एकाध रोटी लावूं?
मत लाव, भावै नीं
आधी तौ लावूं ईज परी...वा उठवां लागी।
ना...टकडौ ई नीं भावै
अर फेर दोय जणां ाुप रिहा। दोयां री नजरा एक-बीजा माथै टिकीयोड़ी ही। पण होंठ खुलै नीं रिहा हा, सिरफ हिलता रिहा, शायद बोलवा सारू सब्दां री कमी मैं सूस वै री है।
एकाएक आभा में बिजली खमी। केसी बारै री छत रा रोसनदान ढाकिया। ठा नीं वरसाद करी वै जावै। आज सुबह सूं जल भरियोड़ा काला बादल गरजै रिहा है। खांणौ बनावियौ रै पौ केसी सास नै गुड अर काली मिराां री ााय बना वै नै दी। वै ऐड़ी इ ााय पिवै।
अर फेर वा एकली कमरा रै एक खूणा में आवै नै बैठ ग्यी। वा अठै बैठी न पौता रै भाग्य माथै आंसू बहावै। अर फेर उणै ध्यान आयौ कै एक दिन अणईज कमरा में वा पौता रै धणी रै आवी री बाट जोवै री ही। पण आज वा किंणरी बाट जोवै? 'ाणी रो सुख उणै थोड़ी ई मिल्यौ। विवाह रै बै बरस तक ई। फेर टाईफाईड नै उणै 'ोर लियौ हौ। वै उण नै खूब पियार करता हा। बीमारी रै पैला जद वै अछा हा, कह्यौ हौ-
थूं खूब अछी लागै
सा...
म्हैं ाावू कैं थूं म्हारै साथ ई रैवै
म्है बी आईज प्रार्थना करू कै आपां रौ ओ बंधणी नीं टूटै
भगवान आपां दोयां री उमर 'ाणी करै
अर उणा रा दोय केसी रै खबा माथै हा। उणा री आंखां केसरी री आंखां में झांकै री ही, उण री आंखां में पियार उफणै रियौ हो। एकाएक केसी उण रै मजबूत कसाव में जकड़ीज ग्यी ही।
जद वै मांद हा तौ कैवता-म्हैं जल्दी ठीक वे जावूंला
केसी रौ गलौ भरीज जावतौ। वा कुछ बी कै नी पाती। बस जौ कुछ वै कैवता, वा लकड़ी री तरह ाुपााप सुणती रैवती अर मन-ई-मन भगवान सूं विनती करती कै पौता रै 'ाणी नै जल्दी सूं ठीक करै।
कैसी !छ
क्यूं, कांई है?
म्हैं ठीक वै जावूंला ?
हां...थैं जल्दी ठीक है जावोला
पण एक रात वा 'ाणी नै पाणी देवा सारू उठी। उणी री आंखां 'ामई माथै अटकीं अर वा थर्-थर् कांपवा लागी। वै स्वास लेवा में दिक्कत मैं सूस करै रिहा हा। आंखां री पुतलियां स्थिर ही। सास बी जागी। सास बहू रै देखता-देखता एक आत्मा नास्वांन देह सूं निकल ग्यी। दोयां री आंखां सूं आंसूं गंगा रै नीर ज्यूं बैहवा लागा।
समाज रै उसूलां मुताबिक केरी 'ार में केद री जिन्दगी गुजारवा लागी। हाथां मैं पैरियोड़ी कांा री ाूड़ियां फोड़ी। बालां में सिन्दूर भर नीं सकती। अर नातौर करणौ कोसांद दूर हौ। उणै लागौ, एकाएक तूफान उणरी जिन्दगी में आयौ, एक बार में ई सारौ ई तबाह कर दियौ।
बेटा री मौत सूं सास रै दिल माथै गेहरी ठेस लागी। रो-रो नै आंसूआं री झडी लगावती। अर बै मीना पछै सास बी मांाौ पकड़ियौ, जौ आज तक ाालै रियौ है।
...अर सास पांणी मांगियौ। सास नै पांणी रौ लौटो दियो अर फेर मांाा रै पाखती ई हैठी बैठ ग्यी। अजै छांटा आवै री ही। रोज अणईज टैम छांटा आवै।
बहू, ाादर औढा वै...
अर केसी सास नै ाादर औढ़ावी। पछै वा ााय बणावा सारू रन्दौली मे आग्यी। गुड़ री ााय बनावै नै सास नै दी।
बारै छांट री हद 'ाणीज बढ़ग्यी ही। केसी नै लागै रिहौ हौ, ए हदां खतम क्यों नीं वै जावती, एक ई बार में, एक ई विस्फोट में। ए नीर भरियौड़ा काका बादल एक इ बार में क्यूं नीं बरस जावता? उणै सौयौ, एक दाडै ए सारी हदां खतम वै जावेला, इणां रौ अस्तित्व ई नीं रेवैला। पण हदां खतम वैवा री बजाय बढ़ती ई जावै री ही। अर केसी मन-ई-मन मन 'ाुटती रैवती, सिसकती रैवती, क्यूं के वा जाणती कै इण हदां अर पुरानी यादों में 'ाुटन, खामोसी अर भटकाव रै सिवा राख्यौ ई कांई? समझ में नीं आवतौ कै आखिर ए सारी यादां मिनख सूं इतरौ अट्टू सम्बन्ध क्यूं राखै। अगर राखै बी तौ रै-रै नै मन दुखांणौं कठा तक ठीक है? सब एक ई वार सतावै नै सान्त क्यूं नीं वै जावती ए यादां?
कितरा वजिया वेई?एकाएक सास पूछ्यौ।
क्यूं, कोई कांम है?
हां...
कांई?
रसोई नीं बनावंणी कांई?
बैपार री रोटियां बी पड़ी है, म्हारे सारू 'ाणी है। अर फेर थै तो खावोला नीं...
तौ कांई वुऔ? थारै सारू तौ बनाव
ऊं हूं...
थनै कांई वै ग्यौ है?...इतरी गुमसुम क्यूं रेवै?
कठै रेवूं इतरी गुमसुम आवाज रुआंसी ही।
कांई करा, बहु?एक लम्बौ उसांस।
सास री ऐड़ी बातां सूं उणरी आंखां आर्द्र वै जावती। वा नीं ाावती कै कोई बितोड़ी यादां नै कुरैदै। वा सब कुछ भूल जाणौ ाावती। उणै अतीत सूं एकदम धिरणा वै ग्यी ही। पण अतीत उण रै वरतमान जीवम माथै हावी वेणौ ाावै। 'ाणी री यादां में उणै डुबियौड़ी देखणी ाावै। आखिर ओ सब कठा तक ााली?-जद तक जीवण है।
कांई सोौ री है?सास रौ सवाल हौ।
कांई नी...अर वा उदास मुंडौ लटकावै नै बीजा कमरा में आग्यी।
वीजै दाड़ै तड़कै ई सास री तबियत पैला सूं ज्यादा नरम ही। एक 'ाड़ी केसी सास नै देखती री अर फेर तेज कदमां सूं डाक्टर नै बुलावा ग्यी।
राजा करण री वेला दरवाजौ खटखटावा री आवाज सुणता ई डाक्टर दरवाजौ खोल्यौ अर पूछ्यौ-'कींकर आई?ङ
सीरिअस केस है, डाक्टर साब ! टैम मत करजौ केसी री आवाज में 'ाबराहट रै साथै-साथै अजनबीपन बी हौ।
डाक्टर ज्लदी सूं हाथ-मूंडौ धोवै नै केसी रै साथै 'ारै आयौ। देख्यौ कै सास री छाती जल्दी-जल्दी सिकुडै अर फुलै री है। डाक्टर केसी नै धीरज दियौ अर कह्यौ-फिरक री बात नीं है। जल्दी ई ठीक वै जावेला।
अर डाक्टर नै केसी रै हाथां मैं गोलियां दी तौ वौ केसी रै किताबी उजला ोहरा नै देख मुग्ध वै ग्यौ। वौ उण विधवा रौ हाथ पकड़ैला, आ बात डाक्टर पौता रै मन में सोा ली ही।
अबैं जाऊं...आज इतवार है, कोई खास बात वै तो खबर दीजो
आप री फीस?
दे देणा बाद में फेर कुछ ठहर कर कह्यौ-अर फुरसत मिलै तो म्हारै 'ारै आवै नै दवा ले जाजौ
अर डाक्टर देहरी सूं नीो उतरियौ, केसी उणै ताकती री। धीमै-धीमै डाक्टर री आकरति उणरी आंखां सू ओझल वैती ग्यी।
बैपार बाद वा डाक्टर रै 'ारै आई। सास नै कैव नै कै वा डाक्टर रै 'ारै दवा लेवा जावै री है। देहरी माथै पग धरता ई कुरसी माथै बैठोड़ा डाक्टर साब पुठै देख्यौ-आग्यी...
म्हैं दवा लेवा आई हूं
बैठो तो सही..छ पाखती पड़ियोड़ी कुरसी री ओर इसारौ करता थका डाक्टर कह्यौ।
वा धीमै सूं कुरसी माथे जम ग्यी।
एक बात पूछुं?
पूछो...
मैरिड हो?
थानै इणती कांई मतलब ?उणै डाक्टर सूं ऐड़ा सवाल री आसा नीं ही। वा नीं ाावती कै उण रै अतीत नै कोई वार-वार कुरेदै। उण री आखां  में आसूं आ ग्या।
ओह ! थाने ठैस लागी ओ सवाल, उणती क्यूं पूछ्यो? कांई डाक्टर नीजांणतौ हौ कै वा विधाव है? अर फेर सोा नै बोल्यौ-इण उमर में भगावन नै थारै साथै अछौ नीं कियौ...
भगवान नै ओइज मंजूर हौ, डाक्टर साब वा भिनौड़ी आंखां नै काली ओढ़नी सूं पौंछवा लागी।
नातरौ क्यूं नी कर लैवती?डाक्टर केसी री आर्द्र आंखां में देख्यौ, उण री आंखां में जीवन तैर रिहौ हौ।
डाक्टर साब, म्है एड़ौ नीं कर सकती
क्यूं?
समाज रै बंधण री वजह सूं...
एक बात कैवूं?हां...
किणी पुरूष री औरत मर जावै तो कांई वो पुरूष बीजौ विवाह नीं करतौ?
करै...
फेर औरत क्यूं नीं करै सकती? पुरूष रै खातर तौ ओ समाज एड़ौ कर सकै अर औरत नै नवौ जीवण देवारौ नियम नीं बना सकतौ...आज री जवान पीढ़ी इण रिवाज नै तोड़ै नीं सकै?उलै लागै रिहौ हौ कै आज सारी दूनिया बदल ग्यी है, पण समाज रा रिवाज नीं बदलिया। अर विधाव विवाह री रांगां तौ खूब ई कमजोर है।
म्हारै तोड़वा अर नीं तोड़वा सूं कोई फरक पडेगा?
करै नै देखौ तो सही। म्हैं कैवे रिहो हूं कै ओ समाज कोई बी नीं बिगाड़ सकतौ
पण...
पण कांई ?
सासू जी इणैं मांनी?पौता री तरफ सूं केसी ढीली वै ग्यी।
डाक्टर नै उण री आंख्यां में झांकियौ, उण री आंखां में दबी वासाना री झलक ही। उणरा दोय हाथ केसी रै खबां माथै हा। एक 'ाड़ी रै वास्तै केसी रौ सिर डाक्टर रै बायां खबां माथै आ ग्यौ। अर धीरै-धीमै दोय जणां एक-बीजा री मजबूत बाहां रै कसाव में आवता ग्या।
अर फेर वा दवा लै नै 'ारै आई। सास ऊं'ौ री ही।
सास रै उठवा पछै केसी उणै दवा दी। अर फेर वा बीजा कमरा में आय नै बैठ ग्यी। बैठा-बैठा उण रै अंतस् में डाक्टर री आकरति उभरी। पण मन-ई-मन बी पैदा वै रिहौ हौ कै सा कांई कैवेला। सास बात मांनी कै नीं मांनी?
बीजै दाड़ै सांझ रा डाक्टर आयौ। सास री हालत में सुधार हौ। अर फेर डाक्टर नै केसी री बात की तौ एक 'ाड़ी सास री जबांन माथै तालौ लाग ग्यौ। अर फेर 'ाणी टैम बाद मना कर दियो।
जाणती हौ, औरत विवाह क्यूं करै?...मां बनवा सारू अर पुरूष रै प्रेम सारू...डाक्टर धीमैं सूं कह्यौ।
म्हैं सब जांणूं, समझूं पण समाज रै दस्तूरां वै ठुकरा बी नीं सकती...
क्यूं?
क्यूं कै म्है नीं ाावती कै समाज म्हनैं कसूरवार ठहरावै
बात समझौ। अगर पुरूष री बजाय और पैला ाल बसै तो पुरूष कांई करै?...अजे बापड़ी री राख ठाड़ी बी नीं वुई कै पुरूष बीजो विवाह राावै। म्हैं पूछूं कै समाज नै इणै क्यूं नीं रोक्यौ?डाक्टर स्पष्ट कह्यो।

पण कांई कियौ जावै?
.कैसी रौ नातरौ करै नै समजा रै गलत उसूलां री रांगां हिलाव दौ
सास ाुप ही। सायद वा सब्दां री कमी मैं सूस करै रिहा हा या फेर पौता री स्वीकरति देवा रै पैला सोौ रिहा हा।
ऐक 'ाड़ी सान्ति छायै री। तीनां जीव एक-बीजा री तरफ वारी-वारी सूं देकै रिहा हा। पण बोलै नीं रिहा हा।
फेर एकाएक सास नै सूखा-पपड़ायौड़ा होंठां माथै जीभ फेरी; होंठां माथै ापिापिाहट पैदा वै मिट ग्यी। अर फेर सास नै स्वीकृति दी।

केसी नै डाक्टर री आंखां में झांकियों, उण री आंखां में नवीं राह नजर आवै री ही। वा नवीं राह, जिण माथै वा डाक्टर रै साथै नवौ जीवण बणावेला।

ऊपर


पैली रात

म्हारै नणद बाई, डाबै हाथ कांनी जिको कमरो है, उण में जावण वास्तै म्हनै कैवै है। उणां रो कैवणौ वाजिब ई है। क्यूं कै इण घर री भींता तकात सूं म्हैं अणजाण हूं। इण घर रा नैम-कायदां म्है कोनी जाणूं...नणद बाई बतायो उण कमरा मांय म्है जावण लागूं।
नेनो सोक कमरो है। कमरा में वलता ई म्है एक पलंग बिायोड़ो देखूं हूं। म्हैं जाणूं के ओ पलंग दोय जणां रे मनां नै एक करैला...सुख-दुख अबै उण मिनख सूं जुड़ ग्यो है, जिण सूं म्हारो कीं ई वास्तो पैला कोनीं हो..नीं जाण ही अर नीं ई पिाण...पण ांवरी रा सात फैरां खायां पै, जिण सूं हथलेवो जोड्‌यो, उण सूं हेत करणो पड़े है। सोाती थकी म्है पलंग रै डाबी कानी नीौ आंगणां माथै बैठ जावूं हूं।
पाखती दूजा कमरा मांय सगलां सोवण री त्यारिया में लाग ग्या है..आंखां में ब्याव रो रातीजगो जिको है!...ठीक है, ए तो सगलां अबार सो जावैला...पण म्हैं अकेली कित्ती जैज तां ी बैठी रैवूंला...घणी रात गी परी है, अबै तो उणां नै आ जावणो इज ााइजै। म्हारो कालजो धक्-धक् कर रह्‌यो है। म्हैं किण तरियां उणां रै सामी बात करूंला...एक अजब घड़ी री कल्पना सूं म्हार मन में खलबली होवण लागी है। एकाएक वे कमरा मांय आवै है। उणां रै कपड़ा सूं इत्तर री खसबू सारै कमरा मांय फैल जावै है। मन हुवै कै उणां सूं म्हैं पूुं कै इत्ती देर तांई कठै बैठा हा। पण पैली रात रो संको इतरो कै जुबान खुली नीं...म्हैं घूंघटो काढ़्या आंगणै बैठी ई री। वे सीधा पलंग माथै हवलै सूं बिराज जावै है। मुंडै में पान है। मोजड़ियां पैहर्योडी है। ऐकाएक वे कीं सोाण लागै है। पै म्हनै बुलावै है, अठै आ!
पण म्हैं कीकर जावूं उणां रै कनै..म्हनै सरम आवै है...म्हैं नीौ बैठी ई री...कोनीं उठी।
कांई सुण्यो कोनीं ! अबकी वे कोट उतारता थकां हवलै सूं कैवे है।
म्है सोयो, म्हनै उणां रै कनै जावणो ााइजै। म्है उ नै उणा रै सामी ऊभी व्है गी। वै कैवण लागै है, कोट नै खूटं में टांग दे।
म्है उणां रे हाथ सूं कोट लेयर खूंटी में टांग दियो। म्है खूंटी कनै ई ऊभी-ऊभी नख कुारण लागू हूँ...नख कुारती-कुारती म्हैं सोाूं हूं कै उणां रै कनै जावूं कै पाी नीौ आंगणा माथै बैठ जावूं!...म्हैं सो सोा ई री हूं कै वै कैवै, खूंटी कने ऊभी रेवैला कै म्हरै कनै आव नै सुख री कीं बातां करैला!..
म्हैं हवलै-हवलै पग सरकाती थकी उणां रै कनै ज्या नै ऊभी व्है जावूं हूं...वै पोता री आंगली मांय सूं सोना री वीटी निकाल रह्या है...सायत म्हनै देवैला।म्हैं आ बात सोा ई री हूं कै वै हाथ पकड़ नै म्हनै पलंग माथे बिठा दी...म्हारी आंगली उणां रै हाथ में है। एकाएक उणां रै मुंडा सूं म्हनै दारू री भभक आवण लागै है...दारू री गंध सूं म्है म्हारी आंगणी उणां रै हाथ सूं काय देवूं अरू ऊभी व्है नै सोाण लागू हूं...दारू ! गजब व्है ग्यो...जिण दारू म्हारै बापा री जिनगी सूं खिलवाड करी, बो ई दारू आज पाो म्हारै सामी ऊभो है..म्हनै याद है कै जिण रात बापा दारू पी नै घरै आवतां तो बाई रै साथ मारकूट करता ई...अर पै गालियां बकता थका भूखा ई सो जावता हा। दारू री आदत इतरी खराब ही कै डागदर साब सांव कह दियो हो कै कारी नी लागैला, क्यूं के फैफड़ा सड़ ग्या हैं। पण एक लुगाई रो जीव घणी रै खातर निकल जावणो ाावै..बाई दवा-दारू मांय घणा ई पइसा धालया...पण एक दिन बाई रो सुहाग हमेसा रै वास्तै उड़ग्यो।
म्हारा बापा ! दारू रा पीवाल ! म्हारा हाथ ई पीला नी करां सक्या। सेवट बाई गिनायतां सूं भाई-बापो करनै म्हारा सगपण करायो, अर हिम्मत करनै हाथ पीला कर दिया..पण अठै! पाो दारू सूं पालो पड़्यो।
ऊभी क्यूं व्है गी...कांई बात व्है गी। वै म्हने पूण लागै है।
म्हैं हालतांई बोली नीं हूं, पण अबै बोलणो पड़ैला...उणां नै दारू सूं भान कोनीं...सो म्हैं हवलै सूं बोली, म्हनै बींटी कोनी ााइजै...म्हनै ााइजै है-अमर सुहाग..म्हारी मांग हमेसा रै सारू भर्योड़ी रैवै।
पण ओ तो एक दस्तूर है। वै म्हनै समझावता थकां कैवै है।
आखिर दस्तूर सूं कांई हूवै...जद म्है आखी जिनगी सूंप दी है तो दस्तूर लेयर कांई करूंला..म्हारी जिनगी रो मोल दस्तूर सूं कैई लाख गुणो बत्तो है।
तो थनै कांई ााइजै ?..आ ौन ले परी...नींत दो-तीन साल में थारै कंठी करा दूंला... वै नशै रै मांय कीं रो कीं बोता रह्या। म्हैं बीा में ई बोलूं, म्हनैं कीं कोनीं ााइजै...म्हनै एक बात रो जवाब ााइजै है।

ऐड़ी कोई बात है, तो थनै आज ई ध्यान में आई!

आप दारू पीयोड़ा हो।
थोड़ोक पियो है...
बात थोड़ी कै घणौ पीवां री नीं है...बात है जीवण री।
तू गैली है...कीं कोनी फरक पड़ै जीवण माथै!
कीकर कोनीं पड़ै..म्हैं देख नै बैठी हूं दारू पीवण रो नतीजो...म्हारै बापा री मौत!
पण थारै बापा ता अणूथोइज दारू पीवता हा..अठै तो कदी-कदास पीवूं हूं...अर आज तो पैली रात है! उणां नै बात करण रो कीं भान कोनीं है...वै झट सूं म्हारो हाथ पकड़ लियो अर पलंग माथै म्हनै बिठाय दी।
म्हनैं आ बात दाय कोनीं आवै।
किसी बात...?
दारू पीवण री...
अठै रोज कुण पीवै है !
इणरो मतलब आप रोज पीवणो ाावो...पण ऐड़ी कांई बत्ताई है दारू मांय...घर रो गुमावणो अर गैलो बाजणौ किणी कह्यो। म्हैं आगे कैवती जावूं-म्है सोयो हो कै म्हनै ऐड़ो घणी मिलेला, जिण रै साथै म्हारो जीवण सुफल व्हैला...पण एक दारू पीवण आला सूं म्है आ उमीद कदैई नीं कर सकूं हूं।
अरे भली मिनख, दारूबंदी में दारू मिलै कठै!
तो आप कठा सूं पियो!
कदी-कदास मिल जावे है, डबल पइसां दियां...
इण-भांत तो दारूबंदी कदैई कोनी व्हैला...! म्हैं मन-ई-मन कैवूं हूं-सरकारी कानून सूं तो दारूबंदी कोनी व्हैला क्यूं कै दारू तो घर-घर बणायो जा सके है। सरकार किण-किण नै जेल मांय घालैला। दारूबंदी सारू मनिख री मनबंदी जरूरी है। जद मन मांय ओ पक्को इरादो व्है जावैला कै दारू नीं पीवणो है। घर री बरबादी री जड़ ओ दारू इज है, जिण घर में दारू घुस ग्यो, उण घर री मान-मरजादा माटी में मिल जावै है...ऐड़ा विाारां सूं दारूबंदी आपो-आपो व्है जावैला।
एकाएक उणां रो हाथ म्हारै खबा माथै आवै है...म्हैं उणां री आंख्यां मांय देख्यो, आंख्यां हालतांई थोड़की राती है। म्हैं उणां रै पगां सूं मोजडियां उतारण लागूं हूं तो वै कैवै है, तू सोाी इ कैवै है...कै दारू थारै बापा री मौत ही...ओ दारू म्हारी ई मौत बण सकै है...थारै सुहाग नै मिटावण वाला दारू सूं अबै म्हारो कदैई वास्तो कोनीं व्हैला। कैवता-कैवता उणां री आंख्यां थोड़ीक गीली व्है जावै है।

म्है पलंग माथै सूं उठ नै उणा नै पलंग माथै सावल सूं पोढ़ाय देवूं हूं...अर म्हारै लाल ाुनड़ी रै पल्ले सूं आंख्यां पूंण लागू हूं...!

ऊपर


फैसलो

हफ्तै भर सूं बाई म्हारै लारै लागोड़ी है। म्हारै इस्कूल सूं घरै आया पै वा ऐक ई बात री रट लगावती मनै पूै-थै कांई तय करियो सीता?
मैं हाल तांई बाई नै हां-ना रो पडूतर कोनी दियो। पण इण तरै कितरा दिनां तांई बाई नै पडूतर नीं देवूंला? एकर तो कैवणो ई पड़ैला। पण बाई रै मगज में आ बात क्यूं नीं आवतीं कै जिका पैली साव नट ग्या हा; टीवी-फ्रिज री मांग करता हा; अबै उणां नै साव फोकट में म्हारै सूं ब्याव करण री ऊंधी कांई सूझी? हफ्तै पैली जोधरुप सूं उणां रो कागद बाई माथै आयो। बाई रै हरख रो कीं पार ई कोनीं, जाणैं आंधैने आंख्यां मिलगी। पण बाई बात समझी क्यूं नीं कै हाथी रै दोय तरै रा दांत हुया करै। जिकां दांत बारै दीख रैया है, वैड़ा रा वैड़ा दांत मायं थोड़ा ई है? ऊपर सूं आदमी कितरो ई टिम-टिम फिरै, सेवट उण रै घट री तो ऊपरवालौ ई जाणै। मनै तो आम्भो हुवै कै जिका पहली टीवी-फ्रिज तकात री बात करता हा, अबै साव कूं-कूं-कन्या री बात माथै आयर कीकर ऊभग्या है?
आज सनीवार है। काले अदीतवार तांई बाई नै पडूतर देवणो ई पड़ैला। मांौ माथै सूती, म्हारै दिमाग में आ ईज बात रैय-रैय नै आवै ही कै बाई नै कांई कैवुं? बापा बैठा हा, तद तांई तो वां लोगां री इा म्हारै सूं रिस्तो करण री नीं ही। वै साव ई नट क्यूं ग्या-हा-ोरो कैवणै में कोनी। तो ई बापा जोधपुर रा दो-तीन आंटा मार्या तो बात टीव-फ्रिज माथै आयनै कांा ज्यूं टूटगी। बापा रो मन जाणै ट्‌ट्योड़ौ कांा हो, बिखर्यो। म्हारै सगपण सारू बापा रो मन घणी उठक-बैठक करी, बां री तो कमर टूटगी। ेव्ट म्हारै सगपण री बात मन में लियां ई जाता रैया। आखी ऊमर टाबरां नै भणावता, कीं नीं कर सक्या। एक प्लोट मोल लेय राख्यो हो। उण पर तीन ाार कमरिया बगावण सारू सरकार सूं लोन भी लेवता, पण बां नै तो म्हारी ान्तिा ले डूबी। शायद बाई रै भाग में अबै सुहाग लिख्योड़ो नी हो।
बापा कांई गया, बाई री अर म्हारी सगली इावां पर पाणी ढल्यो। बापा रै पेंसन खातर मैं दफ्तरां रां केई बार आंटा मार्या तो सालभर रै मांय-मांय बापा री पेंसन-नेम-मुजब बाई नै मिलणी सरू हुई। जे म्हारी ठौड़ कोई ोरो हुवतो तो बाबू लोग की लियां बिना केस पूरो करण रो नांव ई नीं लेवता। आ तो म्हैं ोरी ही कै नूंवै-नूंवै बाबुवां सूं बात करती तो बै घणा खुस हुवता। कदी-कदास म्हारी साड़ी रो पल्लो बाबू री मेज माथै लैरका लैवतो तो कदैई म्हारी आंख्यां बाब री आंख्या सूं मिल जावती तो वो घणो खुस नजर आवतो। उण बेलां मैं कीं मुलक जावती। बाब समझतो ोरी गजब री है। काम पूरो हुवण रो मनै पूरो विसवास हुय जावतो। कदी-कदास वै म्हारै सूं मसखरी ई कर लेवता तो मैं ऊंाो नीं लेवती। क्यूं कै मैं आी तरै जाणूं कै इण तरै री बातां हुवण सूं फरक तो कीं पड़ै कोनीं।
इण पेंसन-केस री वजे सूं केई बाबू-लोगां सूं म्हारी औणखाण हुयगी। बै रस्तै ाालता मनै देखर मुलकता तो मैं ई मुलक लेवती। बी.ए. तो कर्योडी ही। बी.एड. सारू फारम भर दियो। भगवान अर बाबू लोगों री दया सूं पास हुवतै ई म्हारै कस्बै री इस्कूल में ई नौकरी लागगी। आज म्हारा बापा हुवता तो बै हरख सूं गैला हुय जावता।

मनै नौकरी करतां बारै महीना ई पूरी नीं हुया कै वो ही सख्स, जिको पैली बाबा नै साव नटग्यो हो, आज म्हारै घर बाई ऊपर कागद लिखे हैं म्है सीता सूं रिस्तो जोड़णनै त्यार हां। म्हानै कीं कोनीं जाईजै, बाई ाोखी ााईजै। गुण हुवैला तो सैग हुय आवैला। म्हैं कूं-कूं कन्यां सूं ई राजी हां।
बाई रै कनै ई मांो माथै सूती मैं आ बात समझ नीं सकूं कै अबै उण लोगां नै म्हामें काई दीख्यो? पैली कांई नीं हो? मैं तो जिकी पैली ही, बा री बा आज हूं! कीं फरक कोनीं। साााणी की फरक कोनी? आज मैं एक मास्टरणी हूं! दूजती गाय हूं! दूजती गाय री अवेर कुण नीं राखै? मैं आी तरां जाणूं कै आदर-सत्कार गाय रो कोनी हुवै, ओ आदर-सत्कार हुवै उण रै दूध रो! दूध सूख्यां पै बापड़ी गाय री कां ी गत हुवै, आ किणी सूं ानी कोनीं। बापड़ी सीमाड़ै में पड़ी-पड़ी पोतारै दुख-दरद री कथा कैवती रोवै।
आज मैं नोकरी माथै हूं। कमावूं ोरी हूं। अबै नै दाय आयगी हूं। पैली म्हैमें गुण नीं हा। मास्टरणी बणतां ई जाणै सगला गुण म्हां में भेला हुयग्या है। जद इ ज तो उणां  बाई माथै कागद लिख्यो है। पण पैली म्हारै बापा जीवतां सै मरग्या हा कांई? सगला अजगर ज्यूं मूंडो फाड्यां बैठा है..जिको ई आवै सो हजम। डकार तक नीं! वाह रे मरदां..वाह ! थां रै खूद रै पगां में गाढ़ कोनी कांई? थां नै ठा कोनीं के परायी आस सदा निरास हुवै? ेवट पौता रै पगां माथै ऊभ्यां ई पार पड़ै! दूजै रो मुंडो देखर लाल टपकायां कांई हुवैला?
बाई म्हारै कनै ई सोयोड़ी है। दिनूगै उठतां ई मैं उण नै कैय देवूंला कै तूं जोधपुरवाला नै ना लिखा दै। भला ई ऊमर भर कंवारी रैऊं, पण उठै, जठै मिनख रो मोल दौलत सूं आंकीजै, मैं हरगिज नीं जावूंला। पईसो ई उणां री मान-मरजादा है। पइसै सारू बै पोतारी इज्जत आबरू ने ई अडाणी राख सकै। पै उणां रै घरै म्हारी सुरक्षा री गारण्टी कांई हुयी सकै है?

मैं ऐड़ा-ऐड़ा लोग-बाग देखा है, जिसाक पोतारै बेटै ने एक वार नी दोय-दोय तीन-तीन वार परणावै। आखिर किण खातर? माया सारू इ तो ओ सारो खेल राावै। पहलड़ी लुगाई नै किणी तरै मारनै डायजो हजम कर लेवणो उणां रो धरम है। आयै दिन अखबारां में ापीजै कै फलाणी ोरी किणी रै सागै भागगी! बापड़ी कांई करती? डायजो ाावणियै लोगां सूं तो लारो ूटो!...रोज रो महाभारत तो बन्द हुयो! कदैई स्टव फाटण सूं ोरी बलर मर जावै है तो कदैई कूवै-बावड़ी में गंठो ौपनै आतमघात करण री खबरां अखबरां में आवती रैवै है। फलाणी ोरी पेट दरत सूं मरगी..फलाणी ोरी धणी सूं लडर भागगी। वै सब कांई? सगला पईसा रो काम है। कोई जीव मरणो कोनीं ाावै। मरतो जीव ई जीवण री आस राखै। मारणवालै सूं तारणवाली बत्तो। नूंवी परण्योड़ी ोरी री मौत रै लारै की लेण-देण रो ई मामलो है, खासकर नै डायडै रो मामलो।
ेवट मैं कितरै दिनां तांई नी परणीजूला? एकर तो परणीजणो ई हुवैला। बाई तो आज है। एक घटी री ई किणी नै ठा कोनीं। पण बाई रो साथ इण तरै को ूटैला नीं। मैं परणीजर सासरै जाऊं परी नै बाई खुद रै भाग-भरोसै बैठी रैवै! ओ म्हारै सूं कोनीं हुवैला। सगली ोर्या बाई नै ोडर सासरै जावती हुवैला, पण मैं नीं जावूंला..हरगिज नीं जाउंला! लोग-बाग कीं ई कैवता रैवैला। मैं कोई उणां रै मूंडै आड़ा हाथ देवण वाली तो हूं नी! मूंडो उणां रो है, मन पड़ै सो कैवै!
पण हां, बाई तो कालजो अवस बलतो हुवैला! म्हां सूं एक ोरी ई परणाईजी नीं। बेटी परायो धन हुवै, परायै घरै गयां ई पार पड़ैला। पण बाई ओ क्यूं भूल री है कै डोकरपणै में उणरो सहारो कुण हुवैला? मैं तो परायै घरै परी जाऊंला बाई रो कुण हुवैला, जिको उण री दवा-दारू करावैला? भाई हुवतो तो फिकर नीं रैवती। बाई रै वास्तै तो मैं ई बेटो हूं। उण रै डोकरपणैं री लाठी हूं।
पण बाई म्हारी बात नीं मानैला। बा म्हारै ब्याव सारूं इ बल बत्तो देवैला। ेवट मा रो हियो है। मनै ब्याव तो करणो ई हुवैला। पण जोधपुर खतर तो ना ई है। क्यूं कै वै पईसा रा लोभी है उणां नै म्हां सूं बेसी म्हारी नौकरी दाय आयी है। मैं बां रै घरै नीं जावूंला।

दिनूंगै सूरज उगतां ई मैं बाई रै सवाल रो पडूतर ई देय देवूंला अर कैवूंला कै बाई, म्हारै ब्याव रो तो स्वयंवर राणो पड़ैला। इण स्वयंवर खातर किणी नै शिवजी रो धनुष कोनी तोड़णो पड़ै। इण स्वयंवर में दो बातां खास रैवैला। एक आ कै जिको मिनख म्हारी नौकरी री बिलकुल ई परवाह नीं करतो थको म्हारो भर-भार सांभण री हिम्मत राखै, अर दूजी बात आ कै ब्याव रै पै बाई नै म्हारै सागै राखणो सहन कर सकै; उण रै गलै में ई सीता री वरमाला सोभैला। म्हारी बाई री सेवा म्हारै सासू-सुसरै रै बरोबर री ई हुवैला। नींतर कीं बात कोनी। पेट री भूख तो मिट ई री है। आहीज पहली भूक है। दूजी सगली भूखां पेट री भूक रै सांमी ओी है।

ऊपर


बेटी रौ कागद

सूरजदेव नै ऊगा नै घणी जेज व्हैगी, पण मंगल बाबू मांाा मांथै सूता-सूता हालतांई पसवाड़ौ फेर रैया हा। आज उणां नै आखी रात ऊंघ नी आयी। आखी रात आल-जंजाल में पड़्या रैया। रै-रै ने उणां री आंख्यां सांमी सुगणा रै ससुरजी रौ लिफाफौ आवै हौ।
लिफाफै मांय आखौ कागद सुगणा री भुंडापां सूं भर्योडौ हौ मंगल बाबू घणी जेज तांई सोाात रैया कै बैवाई सा ऐ सगली बातां कीकर लिख भेजी। सुगणा उणां रै घरै ही तौ एक ई खोटी एबप उण में नीं ही। पै ब्याव रै दो बरसां मांय ई सुगणा इतरी नीाी गिर जावैला, औ मंगल बाबू सपनै में ई नीं सोयौ ही।
लिफाफै में सुगणा रा साव नागा फोटू देखनै तो वै इतरा लाजै मर्या के जमी फाट जावती तौ वै उण में उतर जावता। आखी रात सुगणा नै कोसता रैया कै क्यूं  नीं ब्याव रै पैली ई जैर खा लियौ वा। नीं रैवतौ बांस अर नीं ई बाजती बांसरी। अबै माइतां रै धोला में धूड़ क्यूं घलावै।
आखी रात सोातां थकां मंगल बाबू री आंख्या भरीजती रैयी। अबै आंख्यां में नीर तौ कोनीं, पण मन री आंख्यां हालताई नदीं ज्यटूं वै रैयी ही। कागद मांय वैवाई सा रै हाथ सूं लिख्योड़ो एक-एक हरफ उणां नै याद आवै हौ-आप री बैट इण सारी बातां सू कंटाय नै आतमघात करण सारू अठी-उठी जावणी ाावै। सायत वा आपां सगलां रां मूडां काला करणा ाावै। इण सूं ाोखौ तो औ ई है कै आप सगा जांण नै आपरी बेटी आपरै घरै लेय जावौ। पै आपव म्हांनै दोसांण मत देजौ।
एक बार तौ मंगल बाबू सोयौ के वा ो करती कालौ मूंडौ! नींतर उठै घरै लावनै रोज री माथाफूट न्यारी! आजू-बाजू रै सगलां मिनखां री बातां सुण-सुण नै कान पाक जायैला। नीं तौ खायौ अंगै लागैला अर नीं ई कां करण में जीव लागेला।
इण विाारां रै बिौ मंगल बाबू औ तै करियौ के वै सुगणा नै लेवण नै नीं जावैला। पण थोड़ी जेज पै ई उणां रै सांमी रगत री संबंध आड़ौ आय नै ऊभी व्हेग्यौ। बेटी उणां री है। साल-संभाल तौ लेवणी ााईजै। आ बात मगज में आवतां ई उणां री आंख्या में पांणी आग्यौ।..पण हालतांई मांाौ नीं ोड्यौ।
एकाएक उणा नै घांसी आवण लागी। दो मिन्ट तांई वै घासंता रैया तौ उणां री लुगाई आय नै मोरां माथै हाथ फेरल लागी। लारलै दौ बरसां सू उणां नै घांसी री सिकायत ही। पण वै सफाखानै जावणौ पसंद नीं करै हां। अबै सुगणा रै बारैं में आयोड़ौ लिफाफौ उणां रौ जीव फेर दुखावण लागौ। एकाएक मंगल बाबू केवा लागा-सुण री है?
कांई है?
सुगणा रै बारै में कांई करणौ है?
आप नै कांई जौ?
म्हारौ मन तौ कैवै के सुगणा नै ले आवूं।
ठीक है, पण लेवण आज नीं जावणौ, क्यूं के वार ठण्डौ है। कालै परा जावजौ।
ठीक है, कालै ई सई। एक दिन में कीं खाटौ मोलौ नीं व्है। अर पै मंगल बाबू मांाा सूं ऊठग्या। सुबै रै कामां सू निबट नै पोता रैं कमरा मांय आय नै कुरसी माथै बैठग्या। बैठा-बैठा सोौ हा, गुणा अठै ही, कीं दाग नीं लगायौ। सासरै गयां नै हाल बरस इ कित्ता व्हिया है उणनै! इण दो बरसां मांय सुगणा इतरी कीकर बदलगी? पोता रै सवाल रौ पडूतर खुद ई दैवा हां-के दुनिया में सगली बातां व्है सकै है, पण कां बतावणौ घणौ दोरौ है अर कांम बिगाड़नौ घणौ ई सोरौ। कोई बरसां रै जतन सूं बण्योड़ौ मिनख घड़ी में बिगड़ने घूड़ व्है सकै। पै सुगणा री कांई औकात!

बैठा-बैठां ऐ सगली बांत वै सोा ई रह्या हां के डाकियाँ एक लिफाफौ खड़की में न्हाखग्यौ। सुगणां सूं ोटोड़ी बेटी लिमी आय नै लिफाफौ उणां नै देगी। सोयौ के लिफाफौ मुंबई सूं संकर बेटै भेज्यौ व्हैला, पांा बरसां सूं मुंबई में वैपार कर रह्यो है। वौ ई तौ घर सै सगलां रा पटे भरै है। सोातां थकां वै हवलै सूं लिफाफौ खोल्यौ। लिफाफा मांयलौ कागद देख्यौ अर आदर जोग बाबजू! पढ़ियौ तौ ठा पड़ी के औ कागद संकर रौ नीं, सुगणा रौ हैओ।  वै कागद नै नैौ सूं वांाला लागा-
आदर जोग बाबूजी,
लारलै तीन महीनां सूं म्हारौ खाणौ-पीणौ हराम व्हैग्यौ घर रा सगला म्हनै कांट ज्यूं ाुभै। क्यूं कै नीं व्है जिकी खोड़ीलाई म्हारै सूं करता रैवै। कदैई रांड कैवैं तो कदैई नमक हराम। कदैई खावण-पीवण तकात री खोड़ीलाई। कदैई कोई  कैवै कै साग में लूण ओौ है तौ कोई कैवै बत्तौ, अर कोई कैवै रांड नै साग बणावणौ ई नीं आवैं, साली नै पहीर काढ़ दौ।
इणरै उपरान्त म्हारी ऐड़ी भूंडी की है कै म्हनैं कीं ठा पड़ण नीं दीवी। एक दिन घरै इ ऐक कम्पाउंडर सूं म्हरै इंजेक्सन दिरायौ। पै म्हनै नसौ आग्यौ। नसां मांय म्हारै संगतै व्हियौ; म्हनै कीं ठा कोनीं। ाारेक-पांोक दिन पै म्हनै म्हारा साव नागा फोटू दिखाया तौ म्है दांता माथै आंगली घर दी। अबपै सगलां म्हारा उघाड़ा फोटू दिखाय दिखाय नै म्हनै सुणावै है के हरामजादी, तू ऐड़ी है। कीं ठा पड़नीं दियौ। अबप सगली पोलां ऐ फोटू खोल देवैला।
इण तीन महीनां मांय न जांणै इत्ती बातां म्हारै संगातै क्यूं हुवण लागी है? इण रौ पतौ काढ्यौ तौ म्हनै आजू-बाजू रै लोगां सू आ बात ठा पड़ी कै गांव रै ऐक सेठ म्हारै ससुराजी नै औ कह्यौ है कै वै म्हनै नर दावौ दैवै परो अर सेठ री ोकरी सूं दूजौ ब्याव मंडाय दै। क्यूं कै वौ सेठ एक लाख रिपिया रोकड़ा देवण रौ क्हयौ है। घररा सगलां मिनख एक लाख रिपियां कानी देख रह्या है।
अबै इण घरमें रैवतां म्हनै डर लगा रह्यौ है क्यूं के नीं जाणै किण समै घर रा सगला मिल नै म्हनै मार दै। सायत् घर रा सगला म्हनै मारण खातर री बायौ ढूढ रह्या हा। अबै उणां नै बायनौ मिल गयौ हैं। म्हारी उघाडू झूठी फोटू...म्हनै मारनै वै सगला औ इज केवैला साली आतमघात करी। औ खोटौ कियौ।
पण बाबूजी म्है आतमघात जैड़ौ कायरपणौ नीं करूंला, क्यूं कै महैं साव सांाी हूं। एकदम निरदोस। म्हैं मरणौं नीं ाावूं। हालतांई जग देखणौ बाकी है। औ कागद पढतां ई पैली गाडी सूं व्हीर व्है जौ। अठै सगला खारा जैर लाग रह्या है। नींतर पै म्हनै अठी सूं भाग नै कठैई भी जावणौ पडैला। पै दोसांण मारा मत काढ़जौ..क्यूं कै म्हैं जीवणौ ाावूं हूं। आतमघात तौ कायर करै। जीवण सूं डरै जिकौ आतमघात करै। बाबजू म्हैं कायर कोनीं। जीवम सूं लड़णौ ाावूं हूं।

मंगल बाबू कागद पढ़नै सुगण नै लेवण जावण खातर उतावला व्है रैया है जोर सुं सुगणा री बाई नै हेलौ पाड़ियौ। सुगणा री बाई आय नै उणां रै सांभी ऊभी व्ही। वै कैवण लाग्या-वांा, सुगणां रौ औ काद। कांई लिख्यौ है इणमें? म्हनै आज ई वीं नै लेवण जावणौ है। नीतर कांई ठा काल तांई उण री माटी ठण्टी तकात व्हे जावे। पै ठण्डौ वार आड़ौ कोनीं आवैला।
कागद वांाता-वांाता सुगणां री मां री आंख्या सूं आंसू बरसण लाग्या। मंगल बाबू कैयौ-रोवण सूं कीं कोनीं व्हैला। म्हारै लेवण जावण री तैयारी आज ई कर, वा पोता रौ पेट तौ अठै भर ई लेवैला। पढ़ी लिखी ोरी है। नौकरी करता लाज कोनी करैला।

ऊपर


म्हारी-उणरी बात

कालौ सांझ रा, इस्कूल सूं घरै आयां रै पै, मैं बारै मांा माथै बैठौ-बैठौ कागद माथै एक कवित री लाइणां लिखण लाग्यो हो तो रंदाली मांय रोटियां करती-करती लुगाई बोली, घ्कांई कर रह्या हो?ङ
कंई नीं। अर मैं कागद अलमारी में राखण लाग्यौ।
कहाणी लिख रह्या हो?
नीं...मैं तो किताब वांाू हूं। अर मैं हाथ में एक किताब खोल नै पढ़तो-पढ़तो रंदालौ रै बारणां तक आयो।
कहाणी री किताब है नीं?
नां...
थै म्हनैं पोटाय रह्या हो।
म्हारी रूपाली राणई ! तनैं कुण बणाय सकै!
म्हनैं थैं जरूर झगाय रह्यो हो..पण मैं गैली नीं हूं जकी फूंगरीज जावूंला। वा आटो लेयनै लोयो करण लागी, मैं थानैं कित्ती बार कह्यो है कै कहाणियां मांय सूं जीव काढनै दो पईसा कमावण री सोाो।
तो मैं कामावूं नीं हूं कांई?
पण लिणखा तो आपां रै नीठ सरै है..टींगरवाई पानै पड़ी है..कालै बड़ा व्हैला तो इणां नै मारग घालण सारू पईसा भी ााईजैला..तिणखां मांय सूं वाण आलो कीं है नीं...!
तो तूं हीज बताव कै मैं कांई काम करूं?
पण ए कहाणियां लिखणी बंद करनै इस्कलू रा यार-पांा ोरां भणावो...
भणावण री बात तो ठीक है, पण...
पण..कांई?
कहाणियां लिखणी तो म्हरै सूं नीं ूटैला।
आखिर आंख्यां फौडणं सूं कांई मिलै है। कीं पईसा पैदा हुवता व्है तो भी कीं बात नीं!... वा रोटियां करनै परात मायं आपरा हाथ घोवण लागी, पण थैं तो कोरा कागदां मांय ई पईसा गुमाय रह्या हो..जै दिन में दोय-यार घंटा इस्कूल रा दोय-यार ोरां लेयर बैठ रैवो तो भी महीणा रा ाालीस-पाास रूपया आवै है। वा आगै फेर कैवती रही अर मैं कान मांड्या सुण रह्यो हो, पण थैं म्हारी बात कद मानी हो...थै तो आपरी बात मांथै अड़ियोड़ा हो।
भली मिनख ! मैं अड़ियल नीं हूं...पण ोरां म्हारै कनै आवै तो भणावूं नीं !
इयां ोरां मारग में थोड़ा ई बैठा है ! कोसिस करो तो मिल जावैला।
ठिक है...कालै सूं कोसिस करूंला।
कोसिस करो या मती करो, पण अबै कदेई भी थांनै काणी लिखतां देख ल्या तो ाूल्यां मांय लिख्योड़ा सारा पांनां री बानी कर देवूली।
सवाल ई कोनी अबै कहाणी लिखण रो।
तो अबै किताब मेल देवो अर गरमा-गरम रोटियां जीमणी सरू करो। वा रोटियां ाुपड़नै लागी।

मैं रोटियां जीमण लाग्यो तो लुगाई री बातां हालतांई म्हारै दिमाग में ही। आखिर वा ठीक ई तो कैवै है-पईसा तो आवै है नीं...कोरी ई आंख्यां फोड़ो हो !
खाणो खायां रै पै मैं मांाा माथै आड़ो हुआ तो मगज मांय आ हीज बात आवण लागी कै आघिर लुगाई म्हरै भलै रै वास्तै ई तो कैवै है..कदेई वा म्हारै बड़ै बाई री बातां करै है कै देखो, उणां रा कितरा ठाठ है ! इंजीनीयर है। हजार सूं ऊपर तिणखा आवै है..महीणा में दोय-यार साडिया लाय नैं थौरी भाभी नै देवै है...अर थौंरी भाभी पीहर जावै तो पोलका रै खीसा में तीन-यार सौ रूपयां घालनै जावै है...घणी संगातै अठी-उठी फिरती रैवै है...होटलां में जावै है..सिनेमा देखै है...अर एक मैं हूं कै बारा महीणां मांय एक-दो हल्का ओढणा मोलावूं अर ोरां रै भी एक-दो जोड़ी गाभा...।
म्हारी लुगारी री ऐड़ी बातां सुणनै कालजो बलै नीं कांई ! आखिर म्हनै कहाणियां अर कवितांवा लिखणी बंद करनै दोय पईसां  ूपर सूं कमावण री सोाणी ााइजै...मास्टर री जात ट्यूसन नीं करैला तो फेर कांई करैला?..पण ट्यूसन री बात आवै तो म्हारौ हिरदै दुखण लागै है..पण लुगाई री बात रै आगै म्हारै हिरदै री पीड़ कुण जाण सकै! टाबर पानैं पड़्या है..कांई इणां रो ध्यान राखणो नीं ााईजै? कांई मैं ओ नीं ाावूं कै म्हारा ोरा फुठरा-फुठरा गाभा पैर नै इस्कलू जावै ! पण कांई करूं ! म्हारी आ आदत कोनीं कै दूजां मास्टरां तरियां मैं भी ोरां रै घरै जाव नै उणां रै मां-बाप सूं सिलूं अर ओ कैवूं कै-आपरो ोरो ठोठ है सा..अगर ओ कैय भी देवूं तो ओ हर्गिज नीं कैय सकूं कै-ौरा नै म्हारै कनै भणवा भेजो...क्यूं कै ओ कैवण सूं म्हारै स्वाभिमाण में कीं फरक पड़ै है। अगर कोई ोरो पिता री मरजी सूं म्हारै कनै भणवा आवै परो तौ में उणनै भणाव देवूं...पण ोरां रै लारै-लारै फिरणो म्हारै बस रो रोग नीं है। पण ोरां इयां पढण नै कदम आवै है ! वे तो खासकर नै उण मास्टर साब रै घरै जावै हैं, जिको उणां नै इस्कलू मांय डरावै-धमकावै अर इम्तहाण मांय कम नम्बर देवै...पण ऐड़ा कांमां सूं म्हारो मन घणो दुखी हुवै है।
आज सूं ऐक बरस पैला इम्तहाण री टैम में एक ोरो म्हारै घरै पढ़ण नै आयो हो। उण ोरा रै बाप म्हनै कह्यौ, इण साल ोरो निकल जावै तो ठीक व्हैला, सा..
पास री गारंटी तो म्हारै कनै कोनी, सा... मै कह्यो, पण भणावण मांय कीं कसर राखूंला नीं।
फेर कांई हो ! दूजै दिन बाप बेटै नै भणवा भेजणो ई बन्द कर दियो।
...पण अबै म्हनै वे सब बातां करणी व्हैला, जिको मैं हालतांई नीं करी ही...नीतर लुगाई सूं माथा-फोड़ी हुवती ई रेवैला। ठीक है कालै सूं मैं आ कोसिस ई करूंला कै ट्यूसन मिलै ! अर कहाणियां कवितांवा बंद..अर मैं खाट माथै आरमा सूं सोग्यो।
पण आज इस्कूल आयो तो डाकियो म्हनै एक लिफाफो देयनै ग्यो। लिफाफो खोल नैं कागद बांयो। एक पत्रिका सारू सम्पादक म्हारै सूं एक कहाणी री मांग करी है। सम्पादक कागद मांय लिख्यो कै मैं आले दरजे रो कहाणीकार हूं...अर मैं कहाणी नीं भेजूं तो सम्पादक कांई सोौला। पण मैं कांई करूं?  ह्यक भी कहाणी लिख्योड़ी नीं है..आफिस मांय कुर्सी मांथे बैठौ-बैठौ मैं सोाूं हूं...एक कहाणी लिखण सारू कम-सूं-कम दस-पन्दर दिन लाग ई जावै, पण घरै बैठनै कहाणी लिखण लागूं तो लुगाई सूं मगजमारी करण पड़ैला..वा ट्यूसन सारू म्हारौ भैजौ खावैला...पण म्हारी आ आदत नीं है कै मैं भी दूजां मास्टरां री तरिया ोरां नै ओ कैवतो फिरूं कै थांनै पास करूंला, भणवा परा आवज्यो, नीतर कालै थांरी-म्हारी बात...ऐड़ी बातां म्हारै दिमाग में आवे तो घणी, पण ोरां रै सांमी कैवण नीं सकूं। सायत म्हारी आतामा रो ओर असर व्हैला..अबै आत्मा रै खिलाफ मैं पग आगे कीकर धरूं! ए बातां म्हारी लुगाई नै किण तरियां समझावूं! अगर इण बातां रो खींा रांदनै उण रै परोस देवूं तो भी वा ओ हीज कैवैला-कमावण री नीयत कोनी है...कागदां मांय आंख्यां फोड़णी हुवै तो आधी रात भी त्यार हो..भला पड्या म्हारै हीज पानै।

कीकर भी हुवै, म्हनै एक कहाणी तो लिखनै भेजणी व्हैला, क्यूं कै एक तो कोई कहाणीकार री कदर करनै उण सू राना मंगावै अर एक रानाकार खुद भेजै...दोयां मांय कीं फरक पड़ै है।
कहाणी भेजण री बात तो ठीक पण कहाणी लिखूं कठै? घर मांय तो लुगाई नै कहाणी सूं वैर है। घरै म्हारै हाथ में कागद देखतां ई वा कहाणी लिखण रो सक ई करैला...एकाएक म्हनैं तालाब माथैं हनुमानजी रै मिन्दर रो ध्यान आयो। उठै बगीाो भी है। उठै बैठनैं कहाणी लिखणी ठीक है। पण सवार री टैम घर सूं बारै जावण सारू कीं बहाणौ तो ााईजै !...ठीक है, लुगाई नै कै देवूला कै एक सेठ रै घरे ोरा नै भणावण जावूं हूं। वा भोत खुश हुय जावैला...पण महीणो पुरो हुवताई वा पईसा रै बारां में पूैला तो..तो कांई ! झट म्हारै दिमाग में बात आई कै एरिय बिल आवणो आलो है...आ रकम उण नैं दे देवूला। आ बात ठीक जाी है ! अर ाौथी क्लास री हाजरी रजिस्टर लियो अर क्लास री तरफ ाालतो रह्यो।
सांझ रा इस्कूल सूं मैं घरै आयो तो लुगाई नै कह्यो, सुणै है?
कांई?
काले सवार री टैम एक ोरै नै भणावा जावूंला।
भलै जावजो, कित्ता रूपयां तै करिया है?
सित्तर रूपया। मैं कह्यो, क्यूं कै एरियर बिल सित्तर सूं कम नीं है।
थैं कहाणी लिखो तो भी थांनै इतरा रूपया नीं मिलै है अर आंख्यां फोड़ो वे अलगी।

थूं ठीक कैवै है। अर पाखती पड्या मांाा माथै मैं लांबो हुओ अर कहाणी रो प्लॉट बणावण मगज नै झटको देवण लागो।

ऊपर


सांन

घणी भागदौड़ करी, पण सफलता कठै ईं नीं मिली। उण रौ मन उदास व्है नै कैवै रिहौ हौ कै कदै ई सफलता नीं मिलेगा।
वौ खुद नै कोसे रिहौ हौ-बी.ए. री डिगरी तौ हास करी, पण इण डिगरी सूं औ खादरौ कीकर भरूं ! म्हारै ऐकला रौ ईज नीं-म्हारी बाई रौ, म्हारी बहू रौ अर म्हारै दीकरा रौ। उण रौ मन उणतीं लड़ै रिहौ हौ। वौ मन नै रोक नीं सक्यौ। रोके बी तौ रोके कीकर? कदै ई वौ विाारां में डूबतौ सोातौ, कठै ई अथाह में हमेसा रै वास्ते खो जावै। पण एड़ौ करवा में बी सफलता मिली नीं। वौ अतती नै भूलतौ वरतमान री तरफ बढ़ियो, पण वरतमान उणै कठै ई बी सरण नीं दी।
कतरा धक्क खादा हा। पांा-ह इन्टरव्यू में गियौ, पण सारौ ई फिजूल रौ र्खा हौ।
आज फेर तपयौड़ा तावड़ा में भटकै नै घरै आयौ। पसीना री बूंदा उण रै मुंडा माथै परकट व्ही। मुंडा मातै हाथ फेरता ई नैंनकी-नैंनकी सारी बूंदा गायब व्है ग्यी। हाथां में डाढ़ी रा कड़क बाल ठसै रिहा हां। एक हफ्तौ बीत ग्यो डाढ़ी बिणावियौ नै बुस्कोट पसीना सूं भीज ग्यौ हौ बीजो पेरवा री इा व्ही, पण बुस्कोट तौ बारै वरगणी माथै सूखै रिहौ हौ। अबै याद आयौ कै कालै वौ बुस्कोट धवौ सारू निरमला नै दीदौ हौ। कतरौ सुन्दर नाम ! प्यार बरसां पैला-ई निरमला रौ हाथ पकड़ लियौ हौ। विवाह रै एक बरस बाद ई उणै पोतारी निसाणी मिली। उण रौ बेटो तीन बरस रौ व्है ग्यौ है।
पाखती पड़ियोडा मांाा ऊपर वौ सो गियो उण दिनो वौ बाई नै गलत समझ गियो हौ। पण हमें खूब धक्क खावा बाद पोता रौ विाार बदलनौ ाावतौ हौ। एकाएक उणै निरमला रौ खयाल आयौ। आवाज देवा ढूको, अरे, राजिया री बाई।
कुण वेई... नैंनका कमरा सूं आवाज आई।
रेजर लावै; दाढ़ी परी बणावूं। वौ मांाा माथै बैठ ग्यौ हौ।
लावूं...। निरमला पोता रै घणी री आवाज पेहााण ग्यी ही।
डाढ़ी बणावै नै मुंडौ धौवा लागो। कोई घर में आवतौ निजर आ रिहौ हौ। हाथ में लाकड़ी अर कमर वरियोड़ी। बैपार वैवा पैली उण री बाई बारै ग्यी ही, कुण जांणै किंण वास्ते?
कांम जमियौ? बेटा माथै निजर पडता ई बाई पू्‌यौ।
ना... उण री आवाज में विवसता ही।
तौ इरादौ बदलियौ थै? मुंडा माथे कतरी झुरियां ही, पण आवाज में गजब रौ तनाव हौ। बाबू वै ई न ! पण थनै कुण राखेला इण बेकारी में ! वां मांाा माथे बैठ ग्यी।
बाई... वो पोता रौ विाार तोड़णौ ाावै रिहौ हो।
बीजौ धन्धौ ई ाौकौ है, ठेकौ थोड़ ईज है बाबू बणवां रौ। बाई समझाईयों कै उण रै हिरदय सूं घ्बाबूगिरीङ रौ भूत, जो सवार व्हियौ हौ, भाग जावै।
हां, वौ पोता रै मन में सोौ रिहौ हौ-बाई ठीकई तो कैवे है कै बाबूगिरी रौ ठेको थोड़ो ई है, कोई बी धन्धौ क्यूं नीं व्है, ाोकौ है, नौकरी मिलै नीं, जठा तक तौ बीजी ई नौकरी ठीक, अी नौकरी मिली जद ईणै ोड देवूला। पोता रौ इरादौ बदलतौ बाई री बात मांनी-बाई...इरादौ तौ बदल दियौ है।

तो फेर कांई है? बाई री आवज में आम्भौ हौ।
बीजी नौकरी...
लालाजी री दूकांनै ग्यी ही। सब तैय कर लियौ है।
तौ थूं बठै ग्यी ही। वै कतरो खुस हौ कै उणै धन्धौ मिल ग्यौ। निरमला री तरफ देख्यौ, उण रै पतरा होठां माथे हल्की हंसी उभरी ही। वा पौता रै दीकरा नै लैनै माई ग्यी।
लालाजी घणा ई आ आदमी हा। जनरल मरोण्ट हा। वै राजेश नै समझावता के फलोणौ-फलोणौ काम कीकर करणौ है। राजेश बै मींनां में ई घणौ ई काम सीख ग्यौ।
अबै निरमला अर बाई रै जो जो ाीजां जाईजती, वौ लावै नै परी देवतौ। निरमला रौ ोहरौ गुलाबी रंग री साडी में साव निजर आवतौ, यूं ोहरौ घूंघटा सूं ढकियौडौ रवैतौ। बाई बी घणी खुस ही कै उण रौ बेटो कमावा लागै है। पण वा आ नीं जांणती के राजेस रै मन में घुंऔ उड़ै रिहौ हौ, जाणै वै मन ई मन घुटै जायै रिहौ हौ। बाई अर निरमला कीकर जांणै उणरी घुटन।
राजेस यूं डील में ठीक हौ। मुंडा ऊपर खुसी री झलक ही। पण उण रौ मन नाखुस हौ। वौ दूकांन सूं घरै आवतौ तौ एकेलौ ई उठतौ-बैठतौ। कुण जांणै किंण रै प्रति इतरी घरिणी ही। उण रै मुंडा ऊपर बनावटी खुसी रैवती, होठां माथै हल्की हसी आवती, जद उण री आंख्यां निरमला री आंख्यां मे झांकती। वौ घड़ी भर हैठौ बैठ निरमला सूं बात करतौ तो ई निरलमा नै ठा पड़वा नीं दियौ कै वौ खुस नीं है। राजेश खुद घुट जावंणौ हौ, पण निरमला अर बाई नै वौ उदास नीं देख सकतौ।
एक दिन मौकौ मिलतौ ई निरमला पू्‌यो-आजकल थै घणा ई थोड़ा बोलौ? कांई बात है?
हां..यूं ई...फुरसत ई कठै मिलै है?
ना...थै कूड़ बोलो, अवस कोई बात वैला।
जांणै नै थूं कांई करी। पौता रै बेटा नै लियौ अर गाल ाुमवा लागौ।
राजेस तो कै दियौ, जो कैवणौ हो, पण निरमला घणी रै साधारण कैणा नै असाधरण बना समझवा री कोसिस करी। पण थोड़ो ईसमझ नीं सकी।
रातरा जद उणरी आंख्यां खुलीं तो देख्यौ, बिस्तार माथै राजेश नीं हौ आंख्या फाड़ इमौ-विमौ देख्यौ, तौ राजेस ांदा री ठंडी ाांदणी में बैठौ हो।
बारै क्यूं बैठा हौ?
गरमी लागै री ही; बारे बैठ ग्यौ।
थै म्हारां सूं इतरी नफरत क्यूं करौ हौ? कांई म्हैं थानैं अी नीं लागती ?
ना, निरमला, आ बात नीं है। निरमला रा दोय हाथ पौता रा खबां माथै मैलिया अर खुद रा दोय हाथ निरमला रा खबां माथै।
निरमला जांणनूं ाावती ही कै ऐड़ी कांई बात राजेस उण ती पिावतौ रिहौ है, पण राजेश उणै ऊंघ रै बहाणा सूं टाल दियौ। वो बिस्तरां माथै जाय नै सोग्यौ। निरमला घड़ी भर ाांद रै ठंड़ा उजास में बैठी री, फेर थोड़ी जैज पै आपरा बाा साथै सो ग्यी।
बीजै दाड़ै राजेस दूकांन माथै कां करतौ निजर आयौ। पाखती ई लालीज पौता री भौंह ाढ़ाता हिसाब करै रिहा हा। टैरालीन री पैण्ट अर बुस्कोट पेहरियौरौ ऐक आदमी लालाजी रै हिसाब नै गौर सूं देखै रिहौ हौ। हिसाब ठीक निकलयौ।
देखियो साहब? लालाजी पौत रा ास्मा संभालता कह्यो।

ठीक है, ाुकतौ कर देवूंला।
पण कद?
तनखां मिलेला जद दे देवूंला। काऐ नै तौ कठै ई जाय नीं रिहा हौ। आदमी जवाब दियौ।
हर टैम यूं ईज केवौ हो-तनखा मिलेला जद दे देवूंला। लालजी उण आदमी रै बोलवा रै ढंग री नकल करता बोले रिहा हा, पण म्हैं कैवै रिहौ हूं थै यार मींना में कतरी वगत जमा कराविया। कांई थौने एक वगत बी तनखा नीं मिली? थै समझौ, दे देवोला, पण म्हारै तौ बियाज मारियौ जांयै।
आदमी बोल्यौ तक नीं, डबडबाई आंख्यां सूं लालाजी री तरफ देखतौ रिहौ, घणी टैम बाद धीरे सूं बोल्यौ, आंख्यां इतरी राती क्यूं करै रिहा हौ? यार तारीख नै तनखा आवतौ ई आपरौ हिसाब बियाज साथे ाुकतौ कर देवूंला।
ए यार तारीख बी आई। लालाजी धीर धरियौ।
आदमी तौ परौ गियौ, पण राजेस सोावा लागौ-बाबुऔ री हालत तो घण  ईज खराब है, उधारै तो ले जावै, पण देवा रै वगत नांनी याद आवै। बेाारां कांई करै? तनखा तौ यूं ई उड़ जावै-पिकनिकां में, फैसनां में। राजेश पौत नै ठीक जगहां माथै ई समझै रिहौ हौ क्यूं कै बाबू लोग तौ करजा रै नीो दबियोड़ा है।
ए यार तारीख बी आई। लालाजी धीरज धरियौ।
आदमी तौ परौ गियौ, पण राजेस सोावा लागौ-बाबुऔ री हालत तो घणी ईज खराब है, उधारै तो ले जावै, पण देवा रै वगत नांनी याद आवै। बेाार कांई करै ? तनखां तौ यूं ई उड़ जावै-पिकनिका में, फैसनां में। राजेश पौत  नै ठीक जगहां माथै ई समझौ रिहौ हौ क्यूं कै बाबू लोग कौ करजा रै नीो दबियोड़ा है।
मुं घर जाऊँ। दूकांन माथै ध्यान राखजै। लालाजी कै नै परा ग्या।
सांझ रा यार-पांा वजियां वे ई। दूकांन रौ सारौ ई काम निबट नै राजेश घरै आयौ। निरमला रंदोली में रसोई बणावै री ही। तो ई रंदोली में जावै नै देखणौ ाावतौ हौ कै कुण है। पण बाई उणै बुला लियौ, -आज वैगौ कीकर आयौ
कां निबट ग्यौ; आ ग्यौ?
लालाजी सूं पूे नै आयौ है न?
हां...पप्पू कठै है?
रंदोली में...।
अरै पप्पू... राजेश आवाज दी।
पप्पू पौता रै नैनकां पगां माथै दौड़तौ आवै रिहौ हौ। वौ नेड़ौ आयौ। राजेश दोय हाथां सू उठा नै लाड़ करवा लागौ।
बाई, एक बात पूुं उणरी आवाज में कम्पन्न पैदा व्हियौ।
एक ई क्यूं? बाई री आवाज मीठी ही।
म्हैं सोयौ कै आपां रै बी दूकांन खोल लेवूं।
पण थूं तौ बाबू बणी... बाई अणै उणरी बात भूल ई ज नी ग्यी ही। वा समझे री ही कै दूकांन तौ ठीक है, सरकारी नौकरी मिलेला जद ोड़ देवेला।
नां...मुं बाबू नीं बंणू।
सेवट अयौ ठिकांणा ऊपर...
कांम ई तौ करणौ है।
हां, राजेस, कोई बी कांम बुरौ नीं।
राजेस पप्पू रै माथा हाथ फेरै रिहौ हौ ताकि पप्पू सो जावै।
...अर हां, दूकांन खोलवा रौ इरादौ औ है। एकाएक बाई कह्यौ।
तौ खोलूं?
क्यूं नीं...
निरमला रंदोली में बैठी मां-बेटा री बांता सूणै री ही। उण रै मुंडा माथै हंसी रा ान्हि हा। अबै वा जांण सकी कै उण दिन राजेस कांई बात उणती पिावणौ ाावतौ हौं।
खांणौ तैयार व्हिया रै पै निरमला खांणौ परोसै नै सासु अर धणी नै आवाज दी-खांणो त्यार है।
राजेस निरमला री आंख्यां में झांकियो उण री आंखां में पियार रा आंसू लकै रिहा हां, जद निरमला परोसियौ रौ खांणौ देवा आई।
एक घड़ी दोय जणा एक बीजां रै खुस ोहरां नै देखता रिहा।

ऊपर


असली धनपत

एकर तीन जणां गाड़ी मांयनै बैठ्या बातां करता-करता घर गिरस्थी री बातां माथै आवता-आवता द्रौपदी री साड़ी रै उनमांन बढ़ती महंगाई माथै आय पूग्या। बात रौ विषय आयौ धन से बात माथै। धन बात करयां ई धनपत बणै! इण बात करणियां मांयनै लूंठौ कुण?
पैलो जणौ बोल्यौ-एक टीपरी घीव सूं म्हारै तो पूरै परिवार री रोट्यां ाुपड़ाय लेवों।
दूजौ जणौ कह्यो-आपां तो खाली टीपरी नै ई सारी रोट्यां ऊपररां फिराय ले वौ...बड़ौ भगत विश्वास रै उनमांन...।

तीजोड़ौ बोल्यौ-इयां टीपरी फिरायां, टीपरी घसीज जावैद। म्हारै तो घीव री दुकान कांनी मूंडौ कर नै सारा जणां जमी लेवां।

ऊपर


पतावौ

रिटायर होयां पैली अखजी सोयौ हो के बेटा-बहुवां माथे घर मांयने ठाठ सूं रेवूंला, घर रौ काम-काज देखूंला। इण सूं बाकी री उमर आराम सूं गुजारूंला।
रिटायर हुयां पै बेटा कह्यौ-घर रा काम-काज मांयनै थांनै पंाायती करण री जरुरत कोनी। वगत माथै रोटी खावौ अर बैठ्या रे वौ। थांनै घर मांय नै आवण री जरूरत ई कांई ! घर रै बारै ाबूतरी माथै बैठ्या रे वौ, राम-राम करौ !
इण ाबूतरी सारू अखजी जवांनी मांयनै कितरा लड्या हा-पाड़ोस्या नै बुरौ-भूण्डौ सुणावतां, बाथेड़ौ करयौ। अफसरां आगल हाथा-जोड़ी करनै ाबूतरी रौ पट्टौ बणवायौ उण वगत सोाता-ाबूतरी काम आवेला, उठण-बैठण सारू। मकांन री सुरक्षा सारू, यार हाथ जमीं रै कम्बै सारू...। पण ओ नीं सोयौ क बुढापै मांयनै आ ाबूतरी ई आपांणी खास जगै बणेवा...! आ ाबतरी...! वै बैठ्या-बैठया पुराणा बीरयोड़ा दिनां नै याद करै अर माला ज्यूं री त्यूं ठस्स जावै...।

ऊपर

रावतौ आपरी आखी उमर मांयनै घणौ ई कमायौ..पेट सारू नव रा तैरै अर गड़बड़ गोटला करतां यार पक्का मकान ाणिवाया अर यारूं बेटा नै न्यारा-न्यारा सूंप दियो। जोड़ायत री मिरत्यु रै पै गंगा-पूजन सारू कोई सौ बेटौ ई काणी-कोड़ी लग कोनी काढ़ी। कनै जिकौ है, उण सूं गंगा पूजन कर वायौ।
अरवै आज खुद मांदा है। नैनकियै बेटै रै घरां है। खाटली माथै पड़्या पड़्या खांसबौ करै। पसवाड़ौ फोरण मांयनै ई दौरय लागै। कोई उणारै नैड़ौ ई नीं फुरकै...वै एकला ई मांदगी सूं झूंझ रह्या है।
आज ऊमर रा ैला दिनां मांयनै ठा पड़्यौ कवै कितरौ कमायौ? कमायौ, उण मांयनै सूं कितरौ काम आयौ? अबै ठा पड्यौ कजितरो कमायौ, उतरौ ई कम आयौ...। वौ कमई आज उणां रै कनै कोनी...। वै खाली हाथ है..।

ऊपर

टैक्सी सड़क माथै दौड़ रैयी। आाणक ई लएक जणौ टकरीग्यौ ! टैक्सी थमगी। टकरीज्यौ आदमी रै पग सूं लौही नीसरतां देखर टैक्सी वालौ, बोल्यौ-घ्केस मत करज्यौ यार! इलाज रौ खराौ देय देवूंला।ङ
घ्थारै, जौ तो देय दीजौ, नींतर जिकौ हुया है वौ ई ठीक हुयौ।ङ
तने धीन्न है भाई!
-कंई समझ लै तू...।
-कीकर?
-इलाज सूं तो पग ठीक हुय आवेला।
-आ तो आी बात ई है।
-आ अठै आी बात है। म्है तो भगवांन सू आ अरदास करूं हूं क भगवान म्हनै खोड़ौ ई राख दै...।
-क्यूं...?
-क्यूंङक खोड़ौ ही रह्या अबकालै इण्टरव्यू मांयनै म्हारौ सिलैक्सन हुय आवेला...!
आखती-पाखती रा लोग उण खांनी देखता ई रैयग्या...।

ऊपर

पात्र पिाण
वीरम : वीरमदेव, जालोर गढ़ रे राजा कान्हड़देव रो कुंवर
फिरोजा : अलाउद्दीन खिलजी री सहजादी
खिलजी : उलाउद्दीन खिलजी
गुल : फिरोजा री खास दासी
दद्दा : दद्दा सनावरा, फिरोजा रौ अंगरक्षक
गोल्हण सिंघमलिक : खिलजी रा सेनापति
कानमेर विक्रमसिंघ : वीरम अर कान्हड़देव सूं असंतुष्ट सरदार

पैलौ अंक
स्थान: जालोर गढ़ सूं अलघो अलाउदीन खिलजी री सहजादी फिरोजा रो तम्बू।
समै : बैपोर बाद।
(तम्बू में एक पलंग माथै वीरमदेव सूतोड़ौ है। आंख्यां बंद है। डावै हाथ रै घौले गामै रो पाटो बंधियोड़ो है। सहजादी फिरोजा अणमणी-सी हाथ मोलती व्ही वीरमदेव रै पगां कानी ऊभी है। उण रो उतर्योड़ो मूंडो वीरमदेव रै मूंडा कानी ई है। कनै ई बै दासियां सहजादी री हाजरी में ऊभी है। एकाएक वीरमदेव रा होंठ हिलें। आंख्यां खुलर बंद व्है जावै...अर पाी खुल जावै।)
वीरम: (अठी-उठी जोवतो व्हियो) म्हैं कठै...हूं ! म्हैं कठै हूं...। (पलंग माथै उठर बैठ जावै)
फिरोजा : क्यूं कांई बात व्ही !
वीरम: म्हारी तलवार नैं ढाल कठै है! म्है लड़तो व्हियौ कठै आ ग्यो हूं!!
फिरोजा: कठैई कोनी ! आपरी हाजरी में म्हैं ऊभी हूं। (फेर दासियां री तरफ मुड़र धीमे सूं) थैं जाओ परी। (दासियां जावै परी)
वीरम : तो म्हैं दुसमण रै डेरा में हूं, मौत सूं डरनै म्हैं अठै सोयो हूं!...धिक्कार है म्हनैं! (पलंग सूं उठर सहजादी सूं ) म्हारी मायड़ भो रै खातर मरण सूं म्हनै क्यों रोक्यो, सहजादी !
फिरोजा: प्रेम रै खातर
वीरम: प्रेम रै खातर? कैडी बात करै री है, सहजादी !
फिरोजा : म्हैं सांाी कैवूं...सिरफ प्रेम खातर ई!
वीरम: पण थूं ओ जाणै कै कर्त्तव्य प्रेम सूं ई बत्तो व्है है!...कर्त्तव्य रै मारग सूं हटायनै आो कोनीं कियो, सहजादी !
फिरोज: थैं म्हारा पिला जलमा रा भरतार हो..इण सारू म्हार ई कीं फरज हुवै है!
वीरम : पण थूं म्हार दुसमण री कन्या है, इण वास्ते थां सूं ब्याव म्हैंनी कर सकतो...
फिरोजा: दुसमण !..कैड़ो दुसमण !!
वीरम : म्हारै देस री संस्कृति अर सभ्यता रो दुसमण-मूरतिभंजक !
फिरोजा :दुसमणी म्हारै अब्जाजान सूं है अर वैर म्हारै सूं काढ़ रह्या हो...आ कैड़ी नीत है आपरी।
वीरम : म्हैं थां सूं ब्याव करण सारू त्यार व्है जावतौ, पण थारै अब्बाजान में बुद्धि नीं है।
फिरोजा: उणां री बुद्धि तो जुद्ध करता-करता काट खायगी है, म्हारा देवता...उणां नैं घमंड रो नसो है।
वीरम: पण धमकी कुण सुणै ! थारै अब्बा री बात में घमंड़ है..सेना री ताक सूं ब्याव करावणो ौवा है !...ओ म्हैं अर म्हारा जीसा महारावल कान्हड़देव जी कदैई सैन नीं कर सकां..प्रेम रो हाथ प्रेम सूं वधै; किण ताकत सूं कोनीं।
फिरोजा : मान जावो; म्हारै अब्बा थांनै प्पन करोड़ री मिलकत अर मालवो अर गुजरात डायजै में देवण सारू त्यार है...
वीरम: डायजौ ! हरगिज नीं !...डायजौ वो सख्य लेवै, जिण रै पगां में काम करण रो गाढ़ कोनीं !...डायजै री मार्योडी म्हारी कैई बैना अगनकुण्ड मांय स्वाहा व्है री है।...
फिरोजा : (बीा में ई) म्है मानूं म्हारा देवता ! पण म्हैं थांथै म्हारौ तनमन सूंप दिया है..कींकर ई व्है..व्हैं थांसूं ई ब्याव करूंला।
वीरम : पण सहजादी, खुद री कीं मरजादा व्है! किणी री धमकी में आयनै उण रै आगे पोता रां हथियार नांख देवणा म्हारै जालोर रै मिनखां रो काम कोनीं।
फिरोजा : जिद मेलो म्हारा भरतार ! (उदास दुवती थकी)
वीरम: अर म्हारी ई कीं मराजाद है...पोता रै सवारथ सारू मातृभूमि री रक्सा रै भार सूं म्हैं मूंडो मोड़ लेवूं...ओ म्हां सूं नीं व्है सकै...
फिरोजा : म्हैं थाने हाथ जोड़ूं !
वीरम: मायड़ भो री रक्सा करणौ म्हारो पैलो अर ैलो फरज है। देस रै खातर सारा ई ोड़ण खातर म्हैं कांई, म्हारी धरती रा सगला लोगबाग त्यार है।
फिरोजा: कींकर ई व्है...म्हैं थांनै मनसा वरण कर लिया है; भलीं ांवरी रा फेरा म्हैं नीं खाया व्है !
वीरम: जिद करणी ठीक नीं, सहजादी...! कठै तो दिल्ली गढ़ रो पातसाह अर कठै एक ठोटो ठिकाणओ !...बरोबरी नीं व्है सकै !
फिरोजा : कुण बड़ो अर कुण ोटो..खुदा री निजरां में सब बरोबर हां..खुदा रै घर मे  ंजांत-पांत रो कीं फर्क नहीं है..थैं म्हारै मनमंदिर रा देवता हौ अर म्हैं थां देवता री पुजारण हूं...
वीरम : औ म्हारौ भाग है, पण म्हारी ई कीं मजबूरी है...
फिरोजा : ऐड़ी कांई मजबूरी है?
वीरम : मजबूरी ! तो सुण-म्हारै दुसमण री कन्या हुवण सूं थां सूं म्हारै ब्याव रो जोग नीं बण सकै..म्हैं तो कींकर ई राजी व्है जावूं, पण म्हारी माटी रै मिनखां री मरजादा रै आगै थारै-म्हारै प्रेम री कीमत बत्ती कोनीं!...
फिरोजा: वीरम!...पाणी बिना म्है-माली किण भांत जिवूंला।
वीरम: म्हैं खूद ई हैरा हूं। थूं ई बताव कै म्हैं कांई करूं !...कांई म्है सवारथ खातर मायड़भोम री मराजाद नै माटी में मिला देवूं?
फिरोजा : म्हैं आ बात नीं कैवती!...जिण माटी में जलम लियो, उण रो मोल ाुकावणो इनसान रो पैली फरज है।
वीरम: तो पै म्हनै मायड़भोम री मरजादा खातर मरण सूं रोकनै थैं ठीक कोनीं कियो।

(इतरा में गुण रो आवणौ)
गुल: सहजादी साहिबा !
फिरोजा: कांई व्हियो !
गुल: बात आ है आपां नै जालोर गढ़ देखण सारू महारावल कान्डहड़देवजी आमंत्रण भेज्यौ है।
फिरोजा: आ तो आी बात है, आपां त्यार हां !
गुल: अर फौज?
फिरोजा: सेनापति नै कह दिरावो कै फोज लेयर दिल्ली जावण री त्यारी करै। आपां दो-तीनेक दीन बाद गढ़ देखर दिल्ली जावांला।
गुल: जो हुकम ! ( अर वा जावै परी)
फिरोजा : (वीरम सूं) अबै बोलो...किण समै गढ़ माथै ाालां ?
वीरम: सहजादी री मर्जी मुताबिक ! पण इण रो मतलब औ नीं व्है कै महारावल कान्हड़देव जी आपरै फैसला नै पाौ लेय लेवैला...आ बात हरगिज नीं व्है सकै।
फिरोजा: कीं कोनीं !  म्हारै मन री एक साध तो पूरी व्है जावैल कै म्हैं म्हारै भरतार रो महल एकर निजरां सूं तो देख लूं !
(अर दोनुं तम्बू सूं बारै जावै परा। आगै-आगै वीरम देव अर लारै-लारै फिरोजा)

मरवा दम तांई
दूजौ अंक
स्थान: दिल्ली में खिलजी रो दरबार
समै: सुबै
(खिलजी एकलो तख्त माथै बैठोड़ो है। सहजादी फिरोजा दोय हाथ बांध नै मूंडो नीाो कर्यां खिलजी रै सांमी ऊभी है)
खिलजी: देख लियो थैं (माथौ दिलै)...! वीरम जिद रो कितरौ पक्कौ है! (पै फिरोजा कांनी आंगली करतो व्हियो) म्हैं थनैं पेली ई कै दियौ कै थूं जिद मत कर..अबै थूं खुद ई जालोर जायर आई परी है (थोड़ रूकर)...गोल्हण नै फैर भेज्यो है कै वीरम कींकर ई मान जावै तो ठीक है...
फिरोजा: पण !...(थोडी रूकर) जालोर गढ रा मिनख बात रा घणी है। वीरम दुसमण रे बेटी सूं ब्याव कींकर करै !...बस आईज बात जालोर गढ़ रै लोगां रै खिलाफ है।
खिलजी: (थोडाक जोस सूं ) म्हैं अर दुसमण !...(थोड़ोक सोार) हां, म्हैं जालोर गढ़ रो दुसमण हूं...अर म्हारौ दुसमण कान्हड़देव ! (फिरोजा कांनी जोवतो व्हियो) वीरम उण रै बाप रै दुसमण री कन्या सूं ब्याव करणौ पोता रो अपमान समझै, अर थूं ! (फिरोजा कांनी आंगली उठार) थूं म्हारै दुसमण रै बेटा सूं ब्याव करै त्यार है।
फिरोजा: म्हांनै लाड करणिया अब्बा! थांनै म्है कीकर समझावूं...कै प्रेम कांई व्है?
खिलजी: पण अबै थूं खूद ई जाणगी है कै वीरम किणी तरियां ई थां सूं ब्याव करण सारू राजी नीं है।
फिरोजा: हां, इण बात में रत्तीभर ई फरक कोनी अब्बा, पण आ बात सोने री मोरज्यूं खरी है म्हैं वीरम नै इणी जलम में हासल करूंला...।
खिलजी : जिद मत कर बेटी! थनैं म्हैं फौज लेयर जालोर भेजी ही कै थूं वीरम नै कींकर ई जींवतो पकड़ लाय..पण थूं अर फौज इण काम में कामयाब नीं व्है सक्या !
फिरोजा : अब्बा ! (दोय हाथ जोडर) थांनै म्हैं कांई बतावूं कै म्हारौ मन वीमर में क्यूं है? आ बात म्है खुद ईं नीं जांणती...
खिलजी : (तख्त माथै बैठो-बैठो ई) तो पै थूं इतरी जिद क्यूं करै री है?
फिरोजा: (खिलजी तां ी जोवती व्हीं) सिरफ इण खातर, अब्बा, कै म्हनै लागै है कै वीरम म्हारै पैला जलम रो साथी है..एक ऐड़ो साथी, जिण सूं म्हारो संबंध जुगां-जुगां सूं जुड़योड़ो है..पण..(उदास हुवती थकी)
खिलजी: पण कांई बेटी ?
फिरोजा: पण..थारै महलां में जलम लेयर म्हारा तकदीर फूट ग्या, अब्बा!
खिलजी : (तख्त सूं उठर फिरोजा रै माथा माथै हाथ फैरतो व्हियो)
म्हारी अक्लमंद बेटी ! यूं जीव मत कलपा !..थारै सारू म्हैं सारो हिन्दुस्तान ांण मारूंला..पण थूं वीरम री बात ोड़! (ऊपर कानी जोवतो व्हियो) वीरम एक नैनाक राजा रो कंवर..अर (फिरोजा कांनी जोवतो व्हियो) थूं हिन्दुस्तान रै सुल्ताण री सहजादी..वो थंनै कांई सुख दैवैला..उण रो नांव हिरदै में मत रख, बेटी !
फिरोजा: नीं अब्बा ! वीरम रो नांव दिन रात तो कांई रात रा ी सुपना में आवै नै म्हारै जीवण नै अर्थ दैवै है..
खिलजी : (पाो तख्त माथै बैठतो व्हियो) एक नैनाक राजा रो ोरो थारै जीवण नै कांई र्थ दे सकैला, गैली !
फिरोजा: कींकर ई व्है, अब्बा !..वीरम नै ोडर दूजो कुण व्हैला जिको म्हनैं देखर बेवड़ा जोस सूं जुद्ध करै..उण रै वगैर म्हारो जीवण बेकार है, अब्बा ! (इतरै में गोल्हण आय जावै)
गोल्हण: हिन्दुस्ताने आली ! (गलौ भर जावै)
खिलजी: गोल्हण ! थारै मन री बात म्है जांण ग्यो हूं कै थूं जालोर सूं कांई खबर ले आयो है।
गोल्हण : (भरिये गलै) जहांपनाह ! जालोर गढ़ रा वासी मान-मरजादा नै बेाण सकारू त्यार नीं है..युद्ध में मर्यां पै ई उणां री मरजादा नै कोई खरीद सकै!
खिलजी: म्हैं खुई ई हैरान हूं कै एक ोटा गढ़ नै आपां फतेह नीं कर सक्या !...थूं जा गोल्हण।
(गोल्हण जावै परौ ! खिलजी तख्त माथै ई बैठो-बैठो खूंणियां टेकर दोयां माथै माथौ ढीलौ करनै कीं सोाण लागै..थोड़ी जेज पै फिरोजा खिलजी रो ध्यान तोड़े)
फिरोजा: अब्बा !..थैं इतरा दुखी क्यूं व्हिया ! सेवट म्हारा भाग तो म्हारै कनै है !
खिलजी : बेटी !...म्हैं जिण नै ोटो समझ्यो, वौ तो सब सूं बड़ौ निकलयो...आखै हिन्दुस्तान में म्हारै नांव रो डंको बाज रह्यो है, पण..जालोर गढ़ सूं म्है मात खायग्यौ..थांरै सारू म्हैं कींकर ई त्यार हूं।पण वीरम-कान्हड़देव मानै जद है !
फिरोजा: म्हैं खुद ई हारगी हूं..पण वीरम नीं मानैला !
खिलजी : थूं जा बेटी !..वीरम नै फोज जीवतो पकड़ नीं लांई...तो अबकै उण री लास अवस लावैला !
फिरोजा : म्हैं वीरम री ला रो साथ करनै ई सुख पा लैवूंला, पण दूजा रै साथै ब्याव हरगिज नी करूंला ।
(कैवली थकी वा बारै जैवै परी)
खिलजी : (तख्त सूं उठर एकलो ई बड़बड़ावै) या खुदा ! परवरदिगार ! थोड़ो रहम कर, वीरम नै कीं नेक सला दे..उण नै अकल दे..कै म्हनैं ताकत दे..जिण सूं म्हैं जालोर गढ़ नै फतेह कर सकूं!..या अल्लाह ! ण्हारै सेनापतियां में घणो जोस भर..(थोड़ रूकर) एक ोटा गढ़ नै म्हैं जीत नीं सक्यो।म्हारी नाक कटगी..म्हनैं जीवम रो कीं अधिकार कोनीं!..कीं अधिकारी कोनी म्हनै जीवण रो..! (अठी-उठी फिरतौ रैवै)..धिक्कर है म्हनैं ! धिक्कार है म्हनैं !! (इतरै में दरबार में कोई आनै उण रै सामी हाजर व्है) कुण ?..( पिाणतो थकौ)..सिंघमालिक ! थूं !..कींकर आयो?
सिंघमलिक : जालोर गढ़ सूं दो राजपूत सरदार आया है।
खिलजी : किण खातर आया है?
सिंघमलिक : महारावल कान्हड़देव सूं नाराज है।
खिलजी : पण है कुण?
सिंघमलिक : एक तो महरावल कान्हड़देव रो भाई कानमेर अर दूजो जालोर गढ़ रै गढ़पाल रो सालो विक्रमसिंघ।
खिलजी: तो ठीक है, उणां नै म्हार सामी हाजर करो...
सिंघमलिक : हाजर है, हजूरेआला !..बारै ई ऊभा है..
(इतरै में कानमेर अर विक्रमसिंघ पातसाह रै आगै आवै अर सलाम करै नै ऊभा व्है जावै)
खिलजी: थै अठै कींकर आया?
कानमेर : हिन्दुस्ताने अली ! बात आ है कै म्हैं कान्हड़देव रै बरोबरी रौ हकदार व्हेतां थकां ई उण म्हारै माथै न्याव नीं करियो।
खिलजी : थांरी तारीफ?
कानमेर : म्हैं कान्हड़देव रो भाई हूं। पण म्हारै साथै ई जद भेदभाव हुवै तौ म्हारौ जीव कलपै।
खिलजी : कींकर ?
कानमेर : हुजरेआला ! कान्हड़देव अर म्है दोयंजणां एक ई राजा रा कुंवर हां, पण कान्हड़देव राणी-सा सूं व्हिया अर म्हैं एक दासू सूं ! ब, इणीज फरक सूं म्हैं जालोर गढ़ में अपमान रो जीवण जीवूं..पण अबै आपरै साथै रैय नै म्हनैं आ पूरी उम्मीद है कै म्हारै अपमान रो बदलो म्हैं ले सकूंला।
खिलजी : (विक्रमसिंघ रै कांनी देखतां थकां) अर आप ?
विक्रमसिंघ : म्हैं विक्रमसिंघ। जालोर गढ़ रै गढ़पाल रो सालौ ! किणी समै म्हारै बैनोई-सा नै आपरै कांनी करा सकूं ! अर आपां जालोर गढ़ नै फतेह कर सकां...
खिलजी : तो फेर जाईजै कांई! म्हारी ऐ बूढ़ी आंख्यां जालोर गढ़ माथै म्हारै राज रो झण्डो देखणो ाावै (थोड़ो ठैरनै)सेनापति सिंघमलिक!
सिंघमलिक : हुकम हिन्दुस्ताने आली !
खिलजी : आपरां रा सगलां सेनापतियां नै हुकम दे दैवौ कै जालोर गढ़ माथै जुद्ध करम सारू कमर कस लेवै!..वीरमदेव नै जीव्तो पकड़ लावै..म्हारी सहजादी रो सपनो पूरो व्है सकै..नींतर (थोड़ रूककर)..उण री लास लावौ..अगर कीं नीं व्है तो थै सगला कठैई कुआ-बावड़ी मांय आतमघात परी करजौ, पण म्हनैं मूंडो मत दिखावजो..जालोर गढ़ माथै आ म्हारी आखरी ाढ़ाई है..(बारै अल्लाहो अकबर री अजान व्है) एक ोटा गढ़ नै म्हैं फतेह नीं कर सूकं, एक ोटा राजपूत रो घमंड म्है तोड़ नीं सकूं, आ बात म्हारै सूं सुणी-देखी अर कैयी नीं जा सकै!
सिंघमलिक: हुकम जहांपनाह !...खुदा आपरी मुराद पूरी करैला..अजान व्है री है; नमाज रो समै व्हैग्यौ है, जावण री इजाजत व्है !
खिलजी : ठीक है, जाओ।
(सब जावै अर खिलजी नमाज पढ़नी सरू करै)
(परदौ गिरै)

तीजो अंक
स्थान : जालोर गढ़ रै उत्तर कांनी सुन्दरला तलाब कनै रो एक तम्बू।
समै : सूरज आथमता पैली
(तम्बू मांय सहजादी फिरोजा खुदा सूं दुआ मांगती थकी उठी-उठी फिरती आभै कांनी इण तरियां जोवै कै उण रै मन री बांता आभै सूं कींकर गूंजै री है!)
(नैपथ्य सूं)
वीरम थारै नांव रो, आवै है जंजाल।
दिनड़ा बीत्या कलपतां, राति आवै पंपाल।।
वीरम थारैं नांव सूं है, क्यूं इतरो हेत।
पौला जलम रा कंथ, हियो साख आ देत।।
साजन तोरै कारणै, निस दिन पड़ै न ौन।
डूंगर बोलै मोरियो, ज्यूं आयो सुख दैन।।
वीरम थारै कारणै, रंगियो भारी खेत।
हठ मेल हमैं करो कंथ, हथलेवा रो हेत।।
(इतरै में दासी गुल रो आवणौ)
गुल : सहजादी साहिबा !
(फिरोजा कीं नीं कैवे..आभै सांमी जोवती रैवै)
गुल : सहजादी साहिबा !!
फिरोजा : गुल ? (कीं सोार) गुल! क्यूं कांई बात है?
गुल: म्हैं सोा री हूं...(कैवती-कैवती ठैर जावै)
फिरोजा: कांई सोा री है?
गुल: कै अबै कदैई कोनीं सोाूंला !
फिरोजा: पण, कदैई नी सोाणो-सोयां बिना कींकर व्है सकै! कीं नीं सोाण सारू ई कीं कोसिस करणी जरूरी है अर कोसिस कारू कीं सोाणो पड़ैला ई! (फेर गुल कांनी सुं ौरो हटायनै आभै कानी करै)..पण म्हनै आ बात समझ में नीं आ री है कै..।
गुल : कांई, सहजादी ?
फिरोजा : कै थारै दिमांग मांय कीं नीं सोाण री बात आई कींकर?
गुल: सहजादी ! असल बात आ है कै आपरो मन वीरम सारू इतरो कलपै है, इतरो कलपै है कै म्हैं खुद सोा करती करती..
फिरोजा : (बीा में ई) थाकगी है न!
गुल: हां, सहजादी !
फिरोजा : अबै बोल, जद थारी ई आ गत है तो म्हारी कांई गत हुवती व्हैला! सेवट घायल री पीड़ घायल ही जाणै!
गुल: सांा कैवो हौ, सहजादी साहिबा! पण खुदा रो सब जाणै, कांई उणनै थारी गत रो कीं भान नीं!
फिरोजा :  अठै ईज तो आपां गलती करै र्हा हां। अल्लाह इण तरै सांब रै मन री इा पूरी कर देवौ तो पै अल्लाह नैं याद कगुण करैला!..अल्लाह नै आपां भूल जावांला..मुसीबतां तो अल्लाह नै याद करण रो रस्तो है, रस्तो है गुण!
गुल: पण मुसीबतां रो ई कीं पार तो हुवणो ााईजै!
फिरोजा: कीं पार कोनीं, कठैई पार कोनीं!...वौ कांई आदमी, जिण री जिनगाणी में मुसीबतां नीं व्है ! (पै घड़ीक सोार) म्हारी मुसीबत वीरम सूं ब्याव करण री है, अर वीरम री मुसीबत म्हां सूं ब्याव नीं करण री है...
गुल: पण सहजादी, म्हनैं तो लागै है कै वीरम मर जावैला, पण आप सूं ब्याव नीं करैला!
फिरोजा : म्हैं जाणू हूं, गुल ! कै वीरम पोता री बात नै जितरो महत्त्व नीं दैवै, उतोर महत्व लौगां री बातां नै देवै, जालोर गढ़ री मरजादा नै देवै।..उण रै वास्तै म्हैं बड़ी नीं हूं।..हिन्दू अर मुसलमान बड़ोनीं है!!..खुद रो स्वार्थ बड़ोनीं है...
गुल: तो फेर?
फिरोजा : ..उण रै वास्ते बड़ी है उण री धरती ! बड़ौ है उण रो देस, जिण रै खातर खुद तो कांई समूाो देस ई प्राणां रो बलिदान कर सकै है।
गुल: तो पै आप इतरी जिद क्यूं करै रह्या हौ?
फिरोजा : म्हैं जिनद नीं कर रहीं हू, म्हनैं लागै है कै वीरम म्हारौ है..उण माथै म्हारो हक है..अर हक सारू लड़णो मिनख रो फर्ज है, गुल !..(पै आभै कानी जोवती थकी)...या अल्लाह ! रहम कर ! महां सूं ऐड़ो कोई गुनाह व्हैग्यौ है; जिणरी इतरी बड़ी सजा म्हनैं दे रह्यो है...
गुल : सहजादी साहिबा !...व्है सकै कै अबकी बार आपां वीरम नै जीवतो पकड़ सकां।
फिरोजा: उम्मीद ओी है गुल !..अर फेर वीरम जीवतो पकड़ा ई ग्यो तो औ जरूरी नीं है कै वौ म्हां सूं ब्याव करै ई..कोई जरूरी नीं है!
गुल: तो पै?
फिरोजा : पै जबरदस्ती ताकत सूं ब्याव कर्यां नतीजौ कीं हासल नीं व्हैला,..समझीं !
गुल : तो पै ?
फिरोजा : पै कांई? हुवणौ नीं हुवणौ कद व्हियौ ? भाग में जिको लिख्यौ है, वो तो व्हिया ई रैवैला।
(इतर मैं नैपथ्य सूं आवाज सुणाई दैवै)
आवाज: सहजादी साहिबा !
फिरोजा : कुण !
आवाज: म्हैं !
फिरोजा: (आवाज पिाणती थकी) सिंघमलिक!
आवाज: हां...
फिरोजा: तो मांय आ जावो !
(सिंघमलिक मांय आवै)
फिरोजा : कींकर आवणौ व्हियौ? कोई खबर ?
सिंघमलिक : खबर तो आ है कै जलोर गढ रै गुप्त मारग रो पतो लाग ग्यौ है।
फिरोजा: कींकर ?
सिंघमलिक : दो दिन पैली गढ़ रै दीवार री रांग में राइयां वाई ही, व्है अबै ऊगगी है!
फिरोजा : किण कांनी ?
सिंघमलिक : गढ़ रै लारली बाजू...
फिरोजा: तो अबै कांई योजना है?
सिंघमलिक : योजना तो आ है कै तोप सूं किला री पोली भींत पाड न्हांखांला अर फौज किलै में वल जावैला।
फिरोजा: तो जेज किण बात री है?
सिंघमलिक : आपरी आग्या री!
फिरोजा: म्हारी !
सिंघमलिक : हां, आपरी !
फिरोजा: क्यूं ?
सिंघमलिक : क्यूं कै वीरम जीवतो हाथ में आवणआलौ नीं है !
फिरोजा : जीवतो पकड़ री कोसिस करजो, पै खुदा री मरजी !
(इतरै मैं दद्दा सनावर रो आवणौ)
फिरोजा: कांई बात व्ही दद्दा?
दद्दा: बात आ है कै वीरम खुद फौज लेयर गढ़ सूं नीौ उतर ग्यौ है अर आपां री फौज रै सिपाहियां नै मूली-गाजर ज्यूं काटण लाग ग्यौ है...
सिंघमलिक : (बीा में ई) आ बात है तो पै म्है ाालूं, सहजादी साहिबा!..(सिंघमलिक जावै परो)
फिरोजा : दद्दा ! आप म्हारा रक्षक हौ...आपनै एक काम सूंपूं हूं!
दद्दा : जरूर सूंपो साहिबा !
फिरोजा: सिंघमलिक गुस्सैल जादा है सो वीरम नै जीवतो नीं ोड़ैला...
दद्दा: पण वीरम जीवतो हाथ में आवणआलौ ई कोनीं है..पै कांई करां?...एक तरफ आपरी जिद अर एक तरफ वीरम री जिद !
फिरोजा : कीं इ व्है ?..आपनै एक काम सूंपूं हूं कै वीरम री देह सजीव कै निरजीव हिफाजत सूं म्हारै कनै आ जावणी ााईजै !
दद्दा : जो हूकम !
फिरोजा : गुल !
गुला: कांई ?
फिरोजा: बात सुणी ?
गुण : सुणी साहिबा !
फिरोजा: कांई सुणी?
गुल: कै वीरम री आखरी घड़ी आय पूगी ।
फिरोजा : थूं बात समझगी गुल !...पण एक बात नीं समझी!
गुल : वा कांई सहजादी ?
फिरोजा: कै म्हारी जिनगाणी रो ई आखरी समै आयग्यौ है..म्हैं मैं सूस कर री हूं कै..
गुल : कांई मैसूस व्है रह्यौ है?
फिरोजा: कै वीरम म्हारै हिरदै रै दर्पण में बसग्यौ है..इण जलम में तो कांई अगला जलम में ई म्हैं उण नै नीं ोड़ूला..म्हैं उण री हूं..अर उण री इ व्हैनो रैवूला !
गुल : आप ऐ कांई बातां कर रह्या हौ?
फिरोजा: सब सही बतां है। म्हैं कूड़ नीं कैय रैयी हूं...
गुल : आप आराम फरमावौ, सहजादी साहिबा !
फिरोजा : आराम !...(थोड़ी रूक रे) अबै आराम ई तो करणो है, गुण! हमेसा रै खातर आराम ! नीं देखणो अर नीं दाझणो..हमेसा रै वास्तै सान्ति ! सान्ति ! (अर ऊंघी पलंग माथै पड़ जावै) या परवरदिगार...रहम कर..रहम कर..
गुल : सहजादी साहिबा...कीं होस राखो..सूं हतास हुवणो आप नै सोभा नीं देवै !
फिरोजा: (कीं संभलनै ( कीं व्है !...वीरम म्हनैं मिलसी !.. मिलसी...!
(इतरै में दद्दा सनावर आवै। उण रै हाथां में थाली है। थाली लाल गाभै सूं ढंकियोड़ी है)
दद्दा : आपरी बात सोलै आना खरी उतरी...सिंघमिलक अर वीरम रो घमासाण जुद्ध देखण जो हौ, पण एकलो राजपूत कद तांई जूझतो !...आपरै कैयां मुजब वीरम रो माथौ हाजार है, सहजादी साहिबा !
गुल : म्हैं पैली ई कह्यो हौ कै वीरम मर जासी पण जीवतो हाथ नीं आसी।
(नैपथ्य सूं)
वीरम थांरै देस में, सर मूंहगा बिकाड़।
सर कटै तो घड़ हालै, वैरी मार भगाई।
वीरम सीह जबर खरो, गइवर ज् ूयं न बंधाई।
एक लख्खि न हुओ जोधो, दस लख्खि मोल बिकाइ।।
फिराजो : कीं बात कोनीं, गुल !...अबै तो म्हैर मन में पूरी सान्ति है कै जीवतां नीं तो मर्या पै ई म्हैं म्हरै साथै जावूंला...
दद्द: हुकम करावौ !
फिरोजा: ांदण री सेज करावौ..म्हैं पीव सागै बैठूला..जेज मत करावौ..सुरग में म्हारै भरतार कनै जावण सारू म्हारौ मन उपड़ ग्यौ है..थैं जाओ, ांदण री ातिा बणआओ।
दद्दा: (दद्दा रा पैर आगै खिसकता-खिसकता ठैर जावै) जै हुकम। (थाली रेयर धीमे धीमे जावण लागै)
गुल : (रोवती-सी) सहजादी!
फिरोजा: आज रो दिन मातम रो नीं है, खुसी रो है ! किणी री आंख मांय म्हैं आंसू नीं देखणो ाावूं, आज ढोलूं रै ढमकै म्हरै पीऊ आगै रा रो सुख हासल करूंला..(गुल कीं नीं बोलै..आंख्यां नीर बहावण सारू उतावली व्है री है)
...जा, मांय जा...कीमती सूं कीमती गाभा अर गैणा लेयर बेगी आव, म्हारी रूपाली गुल! जा बेगी सूं बेगी आव..जेज मत कर..वै म्हारी बाट जोवता व्हैला!
ांदण री सेज कराई, कर सोलै श्रृंगार।
हरि भजतां सेजां ाढ़ी, टूट्या बंधणहार।।

ऊपर

 

 आपाणो राजस्थान
Download Hindi Fonts

राजस्थानी भाषा नें
मान्यता वास्ते प्रयास
राजस्तानी संघर्ष समिति
प्रेस नोट्स
स्वामी विवेकानद
अन्य
ओळख द्वैमासिक
कल्चर साप्ताहिक
कानिया मानिया कुर्र त्रैमासिक
गणपत
गवरजा मासिक
गुणज्ञान
चौकसी पाक्षिक
जलते दीप दैनिक
जागती जोत मासिक
जय श्री बालाजी
झुणझुणीयो
टाबर टोली पाक्षिक
तनिमा मासिक
तुमुल तुफानी साप्ताहिक
देस-दिसावर मासिक
नैणसी मासिक
नेगचार
प्रभात केसरी साप्ताहिक
बाल वाटिका मासिक
बिणजारो
माणक मासिक
मायड रो हेलो
युगपक्ष दैनिक
राजस्थली त्रैमासिक
राजस्थान उद्घोष
राजस्थानी गंगा त्रैमासिक
राजस्थानी चिराग
राष्ट्रोत्थान सार पाक्षिक लाडली भैंण
लूर
लोकमत दैनिक
वरदा
समाचार सफर पाक्षिक
सूरतगढ़ टाईम्स पाक्षिक
शेखावटी बोध
महिमा भीखण री

पर्यावरण
पानी रो उपयोग
भवन निर्माण कला
नया विज्ञान नई टेक्नोलोजी
विकास की सम्भावनाएं
इतिहास
राजनीति
विज्ञान
शिक्षा में योगदान
भारत रा युद्धा में राजस्थान रो योगदान
खानपान
प्रसिद्ध मिठाईयां
मौसम रे अनुसार खान -पान
विश्वविद्यालय
इंजिन्यिरिग कालेज
शिक्षा बोर्ड
प्राथमिक शिक्षा
राजस्थानी फिल्मा
हिन्दी फिल्मा में राजस्थान रो योगदान

सेटेलाइट ऊ लीदो थको
राजस्थान रो फोटो

राजस्थान रा सूरमा
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
आप भला तो जगभलो नीतरं भलो न कोय ।

आस रे थांबे आसमान टिक्योडो ।

आपाणो राजस्थान
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: क ख ग घ च छ  ज झ ञ ट ठ ड ढ़ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल वश ष स ह ळ क्ष त्र ज्ञ

साइट रा सर्जन कर्ता:

ज्ञान गंगा ऑनलाइन
डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, बी-71 पृथ्वी टावर, जोधपुर चार रास्ता, अहमदाबाद-380015,
फ़ोन न.-26925850, मोबाईल- 09825646519, ई-मेल--sspokharna15@yahoo.com

हाई-टेक आऊट सोर्सिंग सर्विसेज
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्षर् समिति
राजस्थानी मोटियार परिषद
राजस्थानी महिला परिषद
राजस्थानी चिन्तन परिषद
राजस्थानी खेल परिषद

हाई-टेक हाऊस, विमूर्ति कोम्पलेक्स के पीछे, हरेश दुधीया के पास, गुरुकुल, अहमदाबाद - 380052
फोन न.:- 079-40003000 ई-मेल:- info@hitechos.com